Dharamshala: मास्टर मित्रसेन साहित्य संगीत सभा द्वारा शनिवार को गोरखा समाज सुधारक कैप्टेन बहादुर सिंह बराल की मूर्ति का भागसू में अनावरण किया गया।
इसी उपलक्ष्य पर धर्मशाला के राजकिय सभागर में सांस्कृतिक एवं साक्षरता विनिमय कार्यक्रम भी आयोजित किया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सिक्किम की पूर्व सांसद दिल कुमारी भंडारी पहुँची। उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति किसी भी जाति की जड़ होती है। यही जाति को जीवित रखता है और उसे फलने फूलने में मदद करती है।
इसके साथ ही नेपाल के काठमांडू से आए हुए कलाकारों ने वहां की पारंपरिक नृत्य की झलकियां मंच पर प्रस्तुत की और मित्रसेन थापा द्वारा लिखे गए कृष्ण भजनों से सभागर भक्ति रस में डूब गया। काँगड़ा के प्रसिद्ध लोक नृत्य झमाकड़ा की प्रस्तुति भी देखने को मिली।
आइए जानते है कौन थे कैप्टन बहादुर सिंह बराल?
कैप्टन बहादुर सिंह बराल (15 अप्रैल 1892 – 16 अक्टूबर 1962) एक नेपाली राष्ट्रीय कवि और ब्रिटिश भारतीय सेना की पहली गोरखा राइफल में एक सैन्य अधिकारी थे । उन्होंने ब्रिटिश भारतीय सेना में एक प्रमुख के रूप में कार्य किया। उन्हें नेपाली साहित्य में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने कई कविताएँ लिखीं जिनमें धर्म, देशभक्ति, समानता, सामाजिक सुधार और गोरखालियों की बहादुरी की कविताएँ शामिल हैं