आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और प्रख्यात धर्म गुरु श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि क्या होगा मेरा क्या होगा यह विचार से हम परेशान रहते हैं। सबके लिए सूत्र में क्या गुरु कृपा और गुरु उपाय है। धरती पर जितने भी प्राणी हैं, वे सब प्रकृति की दी गई सौगातों के बराबर के अधिकारी हैं। फिर भी कुछ जीवों के इस पर विशेष अधिकार हो गए हैं। उनमें से मनुष्य भी एक है, जिसने इस धरती और इसके संसाधनों का सबसे ज्यादा दोहन किया है। पशु-पक्षी अपनी सीमाओं में ही हैं लेकिन मनुष्य ने सीमाओं को लांघ कर संसाधनों का उपयोग अपने लिए किया है। इस कारण प्रकृति के प्रति सबसे ज्यादा जवाबदेही भी उसकी ही है। भगवान श्री राम भी बहुत परेशान थे। कुछ अच्छा नहीं लग रहा था हमको वशिष्ठ महर्षि वशिष्ठ के पास ले गए। श्री राम जी को उपदेश दिया ज्ञान बताया योग का ज्ञान दिया। जिसको हम जड़ समझते थे वैज्ञानिक भी यही कह रहे हैं जिसको हम जड़ समझते हैं यह भी चेतन है। इसमें भी चेतन है एक पत्थर का भी अपना मन है। वैज्ञानिक यह दिखाने का प्रयास करेंगे कि ब्रह्मांड में चेतना है। हाँ सच। परिणाम चाहे जो भी हो, हम जल्द ही इस बारे में और अधिक जानेंगे कि सचेत होने का क्या मतलब है – और हमारे आस-पास की किन वस्तुओं का अपना दिमाग हो सकता है। मतलब हर वस्तु में चेतना है सब में चेतना है। पानी में भी मेमोरी पावर है। पानी में याददाश्त होती है। पानी जिसके भी संपर्क में आता है उसे याद रखता है। पांच तत्व हैं। जल तो जल है। जल खारा भी जहरीला भी है। सभी जल नहीं पीते। पीते तो हम मीट्ठा जल हैं।
धर्मशाला के इंडोर स्टेडियम में आयोजित आंदोत्सव में श्री श्री रविशंकर ने कहा जहां ऊंचाई होती है वहां खाई भी होती है। ज्ञान मजबूत होना चाहिए। मन मीठा तो
श्री श्री संस्कार केंद्र के बच्चों ने रामायण के पात्रों की स्तुति से मंगल गीत गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके उपरांत भजन कीर्तन कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। सुलह के विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी डॉ. राजीव भारद्वाज एव्ं अन्य भाजपा नेताओं ने श्री श्री रविशंकर का हिमाचली पारंपरिक संस्कृति से स्वागत किया इसके प्रति उत्तर में सभी उपस्थित भाजपा नेताओं को पटका पहना कर अभिवादन किया।