हिमाचल प्रदेश की मातृभाषाओं और पहाड़ी बोलियों को बढ़ावा देने तथा उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने, अपनी मातृभाषाओं के साथ – साथ अन्य भारतीय भाषाओं को सीखने का अनुकूल वातावरण विकसित करने के लिए अकादमिक विमर्श,शोध पत्र प्रस्तुति और हिमाचल की लोक भाषाओं में काव्य पाठ के उद्देश्य से भारतीय शिक्षण मंडल सीयू और भारतीय भाषा समिति शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में धौलाधर परिसर 1 में भारतीय भाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम की अध्य़क्षता कुलपति हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि प्रो.सत प्रकाश बंसल ने की। वहीं बतौर विशिष्ट अतिथि कर्नल (मानद) प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत (ओएसडी उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा) और मुख्य वक्ता प्रो. जगदीश शर्मा पूर्व निदेशक, अनुवाद अध्ययन और प्रशिक्षण विद्यापीठ, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली मौजूद रहे। वहीं अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. प्रदीप कुमार और कुलसचिव प्रो.सुमन शर्मा सहित अन्य संकाय सदस्य मौजूद रहे। प्रो. बंसल ने भारतवर्ष के विभिन्न बोलियां एवं भाषाओं का सम्मान करते हुए पहाड़ी व हिमाचली बोलियों के संवर्धन की बात की और बताया कि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि में जल्द ही हिमाचली भाषाओं में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जाएगा । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने बताया कि भारत में लगभग 1369 मातृभाषाएं और भारतीय गणना के अनुसार 19569 बोलियां हैं। इस दौरान प्रो.जगदीश शर्मा ने बताया कि उन्होंने द लैंग्वेजेस ऑफ हिमाचल प्रदेश का हिंदी और हिमाचल प्रदेश की बोलियों में अनुवाद कार्य किया है और ऐसे कार्यों को बढ़ावा मिलना चाहिए । साथ ही उनका सुझाव है कि भारत की अन्य कई प्रादेशिक भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा की अनिवार्यता पर भी जोर दिया। कार्यक्रम के तृतीय सत्र में हिमाचल के प्रख्यात साहित्यकारों ने पहाड़ी लोक कविताओं का पाठ कर राष्ट्र एवं समाज को सही दिशा देने का कार्य किया