ऊना (कोटला खुर्द) : हिमोत्कर्ष साहित्य संस्कृति एवं जनकल्याण परिषद का राज्य स्तरीय 50 वां वार्षिक अधिवेशन रविवार को हिमोत्कर्ष राजकीय कन्या महाविद्यालय कोटला खुर्द में आयोजित हुआ। समारोह में हिमाचल प्रदेश सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव (जनजातीय विकास, राजस्व, जल शक्ति विभाग) व चेयरमेन हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ओंकार चंद शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की।
पूर्व कुलपति डा. राज बहादुर कार्यक्रम अध्यक्ष व पूर्व विधायक सतपाल रायजादा विशिष्टातिथि के रूप में पधारे। कार्यक्रम में उत्तरी भारत की 5 विभूतियों को हिमोत्कर्ष राष्ट्रीय एकात्मकता पुरस्कारों व 3 विभूतियों को हिमोत्कर्ष हिमाचलश्री पुरस्कारों से अलंकृत किया गया। इसके अलावा दो अन्य विभूतियों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान मेधावी स्कूल और कॉलेज छात्रों के साथ साथ विभिन्न विश्वविद्यालय के टॉपर्स को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
हिमोत्कर्ष साहित्य, संस्कृति एवं जनकल्याण परिषद का 50वां वार्षिक अधिवेशन रविवार को गर्ल्स कॉलेज कोटला खुर्द में आयोजित हुआ। इस मौके पर आईएसएस अधिकारी और अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। जबकि बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ राज बहादुर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, वहीं ऊना के पूर्व विधायक सतपाल रायजादा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल रहे। कायर्क्रम के दौरान हिमोत्कर्ष राष्ट्रीय एकात्मकता पुरस्कार 2023 के तहत राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, गुरूग्राम से सेवानिवृत ब्रिगेडियर जागीर सिंह कंवर, दिव्य हिमाचल समाचार पत्र के स्थानीय संपादक संजय अवस्थी, द पालमपुर रोटरी आई फाऊंडेशन और चंबा जिला की एथलीट सीमा हिमोत्कर्ष राष्ट्रीय एकात्मकता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
वहीं हिमाचल प्रदेश के आईएएस अधिकारी निदेशक उद्योग राकेश प्रजापति, नंगल की समाज सेवी संस्था जिंदा जीव बेसहारा चैरिटेबल सोसाईटी तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से साहित्यकार डा. कृष्ण मोहन पाण्डेय को हिमोत्कर्ष हिमाचलश्री पुरस्कारों से अलंकृत किया गया। इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने हिमोत्कर्ष संस्था की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि दशकों पहले हिमोत्कर्ष रूप में जो पौधा रोपित किया गया था, जो अब वटवृक्ष का रूप ले चुका है। महिला सशक्तिकरण में हिमोत्कर्ष ने सराहनीय काम किया है। जबकि आज भी बेसहारा महिलाओं को मजबूत सहारे के रूप में हिमोत्कर्ष जैसी संस्था का खड़े रहना महत्वपूर्ण है।