हमीरपुर।
जिला की पांच पंचायतों में फैले डायरिया मामले में लोगों के घरों की वाटर स्टोरेज टंकी से लिए गए पानी के दो सेंपल फेल हो गए हैं। सेंपल जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेज हमीरपुर भेजे थे। यहां पर जांच के दौरान दो सेंपल सही नहीं पाए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि यह पानी पीने योग्य नहीं है। हालांकि यह आईपीएच के जल भंडारण टैंक का पानी नहीं था। आईपीएच के स्टोरेज टैंक से भरे गए सेंपल में कोई कंपलेंट नहीं है। वहीं अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों से लिए गए सेंपल की रिपोर्ट भी सही बताई जा रही है।
गौर हो कि जिला के तहत आने वाली पांच पंचायतों पंधेड़, लंबलू, गसोता, बफड़ी, चमनेड़ के तहत आने वाले गांवों में डायरिया फैला हुआ था। डायरिया की चपेट 5 पंचायतों के 314 लोग आ चुके हैं, जिनमें बल्यूट गांव के 8, जिजवीं के 16, लंबलू के 60, खनेऊ के 35, गसोता के 18, बोहणी से 28, बफड़ी से 26, चमनेड़ से 114, बारलू से 3 और झमेरड़ा से 6 लोग पीडि़त पाए गए हैं। वर्तमान में सभी डायरिया से पीडि़त होने पर इलाज के उपरांत ठीक हैं लेकिन अभी तक डायरिया फैलने के कारणों का सही पता नहीं चल पाया है। इतने बड़े क्षेत्र में डायरिया फैला लेकिन क्षेत्र में होने वाली पानी की आपूर्ति के सेंपल सही पाए गए।
डॉक्टर आरके अग्निहोत्री मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग ने लोगों के घरों के पानी के सेंपल भी जांच के लिए भेजे थे। इसी बीच घरों में बनाई गई स्टोरेज टंकियों से भी सेंपल भी लिए गए थे। घरों में बनाई गई स्टोरेज टंकियों से लिए गए पानी के सेंपल में से दो की रिपोर्ट सही नहीं पाई गई है। यहां का पानी शुद्धता की श्रेणी के विपरीत पाया गया है। हालांकि जल शक्ति विभाग के पेयजल भंडारण टैंकों का पानी सही पाया गया है तथा अन्य सोर्स का पानी भी पीने योग्य रहा है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि पांच पंचायतों के लोग डायरिया की चपेट में आए तो कैसे। यदि पानी सही है तो डायरिया कैसे फैला। आईपीएच विभाग स्वयं के द्वारा लिए गए सेंपल को भी सही बता रहा है।