धर्मशाला।
हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रदेश का उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान होने के साथ ही नैक (NAAC) द्वारा A+ श्रेंणी का मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थान भी है। लेकिन पिछले दिनों केन्द्रीय विश्वविद्यालय में साहित्यिक चोरी की शर्मनाक घटनाएं सामने आना सभ्य समाज में निंदनीय है। केंद्रीय छात्र परिषद केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्यवाही की मांग की है।
विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग में कार्यरत सहायक आचार्य (विश्वमोहन), जो स्वयं को पूर्व IAS होने का भी दावा करता है, द्वारा हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के ही पूर्व छात्र, जोकि वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी के रूप में कार्यरत है, का शोध पत्र अपने व अपने ही अन्य विद्यार्थी के नाम से प्रकाशित करवा लिया जाता है। घटना से पीड़ित युवक शोधार्थी द्वारा ई-समाधान व विश्वविद्यालय प्रशासन में 29 अप्रैल 2024 को शिकायत दर्ज करवाई जाती है, जिसके निमित्त विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा साहित्यिक चोरी की जांच हेतु 16 मई 2024 कमेटी का गठन किया जाता है। कमेटी द्वारा 22 मई 2024 को हुई बैठक में साहित्यिक चोरी के आरोपी उक्त सहायक आचार्य/ तथाकथित पूर्व IAS विश्वमोहन को तलब किया गया तो उक्त आरोपी सहायक आचार्य द्वारा जांच में सहयोग करने की अपेक्षा आरोपी आचार्य स्वयं को बचाने के लिए जांच कमेटी के समक्ष हंगामा करता है। जांच को भटकाने की मंशा से उक्त आचार्य द्वारा जांच कमेटी पर ही हिंसा का मुकदमा दर्ज करवा दिया जाता है।
वहीं पीड़ित पूर्व छात्र पर साहित्यिक चोरी की दूसरी आरोपी शोधार्थी (युवती जोकि विशेष राजनीतिक दल से संबंधित है तथा राजनीतिक मंचों पर प्रतिष्ठित नेताओं के साथ मंच भी साझा करती है ) द्वारा पीड़ित पूर्व छात्र पर ही छेड़खानी का मुकदमा दर्ज करवा दिया जाता है। उक्त घटनाओं से लगता है कि साहित्यिक चोरी के आरोपी उक्त आचार्य व शोधार्थी (युवती) द्वारा जांच को भटकाने हेतु पूरे षड्यंत्र को रचा गया है।