मुख्य संसदीय सचिव मामले में कांग्रेस की ट्रांसफर याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई है। सीपीएस मामले में हिमाचल सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी, पर उन्हों को राहत नहीं मिल पाई।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि यह फैसला हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए बड़ा झटका है। माननीय न्यायालय द्वारा लिए गए पूर्व निर्णयों के अनुसार मुख्य संसदीय सचिव की नियुक्ति असंवैधानिक है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह की नियुक्तियां मनमाने तरीक़े से की है। पहले सरकार ने सीपीएस के ख़िलाफ़ दायर याचिका के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी, वहां से निराश होने के बाद केस ही हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफ़र करने की माँग कर दी। जिससे मुद्दे को लंबा खींचा जा सकता है। जयराम ठाकुर ने कहा कि यह हमारी बड़ी जीत और सरकार को झटका है। उन्होंने कहा कि सलाहकारों की फ़ौज के बाद भी इस तरह की ग़लत कदम उठाकर मुख्यमंत्री फँस गये हैं। मुख्यमंत्री ने जानबूझकर अपने मित्रों का राजनीतिक भविष्य संकट में डाल दिया है। यह निर्णय सरकार पर बहुत करारा झटका है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व के स्पष्ट आदेशों के बाद भी सरकार द्वारा सीपीएस की नियुक्ति का यह फ़ैसला पूर्णतः हैरानी भरा है।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने 6 विधायकों को सीपीएस लगा रखा है। इनमें रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की से विधायक संजय अवस्थी, दून से राम कुमार चौधरी, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल शामिल है। सरकार ने इन्हें ऑफिस से लेकर गाड़ियां इत्यादि सुविधाएं दे रखी है।