हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वावधान द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में भट्टियात जनपद के गाँव भौंट से स्थायी निवासी डॉ. भरत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘नुआला’ का विमोचन हिमाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल महोदय श्री शिव प्रसाद शुक्ल एवं कुलपति आचार्य सत प्रकाश बंसल जी के करकमलों से हुआ।
डॉ. भरत सिंह की पी-एचडी. हिमाचल प्रदेश केंद्रीय धर्मशाला से पूर्ण हुई है। इनके लोकविषयक अभी तक दो पुस्तकें और 25 से अधिक शोध आलेख देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। गौरतलब है कि नुआला विशेष रूप से चम्बा-काँगड़ा के गद्दी समुदाय का एक विशेष लोकोत्सव है जिसमें सृष्टि निमायक महादेव और कालब्रह्म कि आराधना की जाती है। यह विशेष आराधना ऐंचली गीतों के माध्यम से सृष्टि की उत्पत्ति, शिव-विवाह, रामायण, महाभारत सहित अन्य देवी-देवताओं के आख्यान गाए जाते हैं जिसका क्रमबद्ध विवेचन और विश्लेषण डॉ. भरत सिंह ने अपनी पुस्तक में किया है। विवेच्य पुस्तक में लेखक ने दो वर्षों तक शोध किया और चम्बा-काँगड़ा के विभिन्न जनपदीय क्षेत्रों में जानकर नुआला सम्बन्धी जानकारियां एकत्रित करके शोधपरक कार्य किया है जो लोक संस्कृति के संरक्षण एवं सम्बर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य करेगा। इस अवसर पर डॉ. भरत सिंह ने कहा कि संस्कृतियों के आपसी संक्रमण एवं विदेशी सभ्यता और संस्कृति का अंधानुकरण करने से लोग अपनी संस्कृति से कटते जा रहे हैं जो नितांत चिंता का विषय है। आजकल लोक संस्कृति भी बाजार बन चुका है। सस्ते मनोरंजन और धन लिप्सा में आकर कुछ लोग पारम्परिक ऐंचलियों के मौलिक स्वरूप को विकृत कर रहे हैं जो भविष्य से लिए अच्छा नहीं हैं। सरलता, सहजता और अकृत्रिमता गद्दी लोक संस्कृति का मूल भाव है। नुआला पुस्तक की भूमिका हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के माननीय कुलसचिव प्रो. सुमन शर्मा ने लिखी है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. प्रदीप कुमार तथा अन्य आचार्य, सह-आचार्य, सहायक आचार्य, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।