शिमला।
राजधानी शिमला में इन दिनों जहां गर्मियां चरम पर हैं वहीं शहरवासियों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। पेयजल समस्या के चलते शिमला जल प्रबंधन ने शहर में पानी की सप्लाई भी एक दिन छोड़ कर शुरू कर दी है। बावजूद इसके प्रतिदिन राजधानी में पानी के टैंकरों की मांग बढ़ती जा रही है।शिमला में प्रतिदीन लगभग 50 टैंकरों की मांग आ रही है। तंग रास्तों के कारण बड़े टैंकर कुछ क्षेत्रों में पहुंच नहीं पा रहे हैं जिसके चलते नगर निगम ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने बेड़े में दो छोटे टैंकर शामिल कर लिए है। अब नगर निगम के पास छोटे टैंकरों की संख्या तीन हो गई है, जिससे कुछ हद तक शहरवासियों को पेयजल समस्या से राहत मिलने की उम्मीद है। मंगलवार को विधायक हरीश जनारथा व महापौर सुरेंद्र चौहान ने दो छोटे टैंकरों को झंडी दिखाकर रवाना किया।
विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि गर्मी के दिनों में राजधानी शिमला में पानी की समस्या हो जाती है, लेकिन इस वर्ष इस समस्या ने विकराल रूप धारण नहीं किया है। इस वर्ष शहर में तीसरे दिन पानी की सप्लाई की जा रही है। विधायक जनारथा ने कहा कि अभी ट्रायल के तौर पर दो छोटे टैंकर लिए गए हैं। अगर यह ट्रायल सफल रहा तो और टैंकर भी लिए जा सकते हैं। वहीं उन्होंने पानी के बिलों में 10% की बढ़ोतरी पर कहा कि यह वर्ल्ड बैंक के साथ पूर्व सरकार में करार हुआ है। प्रॉजेक्ट लगभग डेढ़ वर्ष में पूरा हो जाएगा। उसके बाद पानी के प्रति वर्ष बढ़ते दामों पर समीक्षा की जाएगी।
महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि शिमला शहर में पानी की समस्या के चलते नगर निगम द्वारा शिमला जल प्रबंधन के माध्यम से दो टैंकर खरीदे गए हैं। शिमला में तंग रास्तों के कारण कई जगह बड़े टैंकर नहीं जा सकते, इस कारण छोटे टैंकरों के माध्यम से उसे क्षेत्र में पानी की सप्लाई की जाएगी। शिमला शहर में पानी के संसाधन बढ़ाने के लिए नगर निगम प्रयासरत है। इसी कड़ी में शहर के आसपास के क्षेत्र में पुरानी बावड़ियों का जीर्णोधार किया जा रहा है। साथ ही शिमला शहर में जल भंडारण को बढ़ाने के लिए नए पानी के टैंकों का निर्माण भी किया जा रहा है, जिससे शहर में पानी की समस्या से निपटने के लिए काफी हद तक आसानी होगी।