विधानसभा के शीतकालीन सत्र के 5वें और आख़िरी दिन विपक्ष के विधायकों ने कांग्रेस सरकार की बागवानों को दी गई गारंटी को आधार बनाकर सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, इस दौरान विपक्ष के विधायक सेब की पेटियां अपने साथ लेकर आये और सदन की चौखट पर आकर सरकार के मुखिया और बागवान का नाटकीय रूपांतरण करते हुये सेबों की खरीद-फ़रोख़्त की इस दौरान उनकी ओर से सरकार और बागवानों के बीच गारंटी के तहत सेबों को खरीदने के दौरान हल्की नोक-झोंक भी दर्शाई, विपक्ष के विधायकों ने सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाजी करते हुये समय पर अपनी गारंटीयों को मुक़म्मल करने की भी याद दिलाई, इस दौरान नेता प्रतिपक्ष समेत विपक्ष के कई विधायकों ने अपनी प्रतिक्रियाएं भी ज़ाहिर की।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने जो झूठी गारंटी दी थी जिसमें उन्होंने किसी भी वर्ग को नहीं छोड़ा जिसमे बेरोजगार, महिलाएं, बागवान व अन्य किसी भी वर्ग के वोट लेने के लिए झूठी गारंटी जो दी थी उन गारंटीयों का सिलसिले में इस बार हमने यहां छोटा सा मंचन के माध्यम से लोगों के बीच में है यह संदेश देने की कोशिश की है उसका पर्दाफाश हो गया और एक गारंटी जिसका आज हम जिक्र कर रहे हैं वह हिमाचल प्रदेश के बागबानो के साथ किया गया था उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अच्छी तरह से जानती हैं कि हिमाचल प्रदेश में एप्पल की इकोनॉमी लगभग 5 हजार करोड़ की जो कि प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को बहुत बड़ा संभल देती है उनका समर्थन और सहयोग लेने के लिए गारंटी दे दी के हिमाचल प्रदेश में जो बागवान सेब पैदा करते हैं और सेब की फसल पैदा करते हैं उसकी कीमत कोई दूसरा आदमी तय नहीं करेगा खुद अपने आप अपनी फसल की कीमत बागवान तय करेगा और बागवान को इस उम्मीद के साथ ठगने की कोशिश की जब अगली बार फसल होगी तो उसकी कीमत खुद किसान तय करेगा उन्होंने कहा कि जब पिछला सीजन बीता है एप्पल का तो जब बागबान इस बात को लेकर के हिमाचल प्रदेश सरकार के सामने गए मुख्यमंत्री के पास गए और यहां के जो बागवानी मंत्री है उनके पास गए और उनको याद दिलाया कि आपने वादा किया था कि बागवान अपने सब की फसल के दाम खुद तय करेंगे और हमें अपनी कीमत और फसल की कीमत खुद तय करने दीजिए तो मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवान जाकर के रिवेन्यू मिनिस्टर उनसे मिले लेकिन जब किसान रिवेन्यू मिनिस्टर से मिले तो उन्होंने कहा कि ऐसी पूरी दुनिया में कोई व्यवस्था नहीं है कि बागवान अपनी फसल के कीमत खुद तय कर सके।