लुपस की बीमारी जिसे SLE नाम से भी जाना जाता है के विभिन्न पहलुओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 10 मई को विश्व लुपस दिवस मनाया जाता है। एम्स बिलासपुर में नैदानिक प्रतिरक्षा एवम रूमेटोलॉजी विभाग और आंतरिक चिकित्सा विभाग द्वारा इस दिन एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। एम्स के कार्यकारी निदेशक प्रो वीर सिंह नेगी एवम प्रों’ डीन एकेडेमिक्स रुपाली परलेवर ने समारोह की अध्यक्षता की। प्रों नेगी ने लुपस के शीघ्र निदान और उपचार की भूमिका पर जोर दिया। प्रो 0 रुपाली ने डॉक्टर के साथ नियमित अनुवर्ती कार्रवाई और उपचार का पालन करने पर जोर दिया।
डॉ योगेश प्रीत सिंह ने लुपस के विभिन्न लक्षणों के बारे में बताया। डॉ मंजू ने लुपस में त्वचा की देखभाल पर जोर दिया। डॉ अजय जरयाल ने लुपस की बीमारी में होने वाले टेस्ट् उपयोग होने वाली दवाइयों पर प्रकाश डाला। डॉ तरुण शर्मा और डॉ देवेंद्र बैरवा ने इस बीमारी के बारे में प्रचलित विभिन्न भ्रांतियों पर श्रोताओ के लिए विवेचना की।
कार्यक्रम में वरिष्ठ संकाय सदस्म, रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग अधिकारी, एम.बी.बी.एस. छात्र, और लुपस से पीड़ित रोगी शामिल हुए। नर्सिंग ऑफिसर कुमारी छेरिंग ढेचेन ने मंच गतिविधि का प्रबंधन किया। इस अवसर पर एक ई-पोस्ट मेकिंग एवं ई-स्लोगन लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। श्रीमती कविता शर्मा, डॉ मेघा शर्मा एवम डॉ विभूति मित्तल को सर्वोत्तम इ-स्लोगन के लिए पुरुस्कार मिला। कुमारी अर्चना, अनशालिका वर्मा और गीतांजलि गौड़ को सर्वश्रेष्ठ इ-पोत्र के लिए पुरुस्कृत किया गया। डॉ रवि कुमार शर्मा ने सभा के लिए धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। डॉ मीनल ठाकरे को उनके अहम् योगदान के लिए स्पेशल अवार्ड से नवाजा गया।
मरीजों ने लुपस के साथ जीने के अपने अनुभव साझा किए और विस्तार से बताया कि कैसे उपचार ने उनके रोग के बोझ को कम किया।