शिमला।
हिमाचल प्रदेश में लालू और राबड़ी की सरकार का आभास हो रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश की सरकार एक ही परिवार के हाथ में खेल रही है और प्रदेश के मित्र इस परिवार के माध्यम से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। पूर्ण रूप से प्रदेश एक देवभूमि है और देवभूमि में इस तरह का प्रचलन ज्यादा देर नहीं चलता है। मुख्यमंत्री ने क्रशर पॉलिसी क्यों चेंज करी, वह अभी तक एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है ? इस बदलाव से कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है और मुख्यमंत्री ने अपने ही एक रिश्तेदार को इस बदलाव के माध्यम से बड़ा फायदा पहुंचाया है। यह कहना है भाजपा प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज का।
संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश में कभी इस सरकार के खिलाफ पत्र बम निकलता है, तो कभी खाद्य आपूर्ति विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप सामने आते हैं और इस प्रकरण की इंक्वारी के बाद मामले को दबाने के लिए 72 लाख की पेनल्टी लगाई जाती है। संदीपनी ने सरकार के मित्रों से पूछा कि किन परिस्थितियों में 25 रुपए प्रति फुट बिकने वाला रेता 90 रुपए फुट और बजरी तीन गुना महंगी हो थी, सरकार बनने के तुरंत बाद प्रदेश में ऐसा होने लगा था। क्या यह घोटाला नहीं था? सांदीपनी ने सभी उस समय की कमेटियों में मुख्यमंत्री के करीबी लोगों के शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि सरकार के अंदर मंत्री, सीपीएस और विधायकों से जुड़े हुए रिश्तेदारों के कुल कितने क्रशर हैं। जिस समय सब क्रशर बंद थे, उस समय सत्ताधारी लोगों के क्रशर बंद क्यों नहीं हुए थे।
उन्होंने कहा कि झूठ, फरेब, धोखा इस सरकार के तीन यार हैं। इसलिए यह है मित्रों की सुक्खू सरकार। जब से कांग्रेस की सरकार प्रदेश में आई है झूठ बोलने का प्रचलन बढ़ गया है, अनेकों और अनगिनत ऐसे उदाहरण हैं जब लगातार मुख्यमंत्री और उनके मित्र झूठ बोलकर जनता को ठगने का प्रयास करते हैं।
कोई भी योजना बनती है तो उसमें केवल मात्र जनता को धोखा मिलता है और धोखे के साथ-साथ फरेब मुफ्त में मिलता है। संदीपनी ने दावा किया कि यह सरकार पूरी तरह से असंतुलित है, यह मित्रों की सरकार कभी भी गिर सकती है।