हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता रमेश भोला व प्रदेशाध्यक्ष महिंद्र सिंह ने कहा कि पूर्व की जयराम सरकार के साथ-साथ मौजूदा सुक्खू सरकार के सभी नेताओं और मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक भेंट करने और मामला उठाए जाने के बाद केवल जांच ही करवाई, लेकिन यूनियन की मांग गद्दी समुदाय की उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़े जाने को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई यदि अब भी सत्ता व विपक्ष ने उनकी मांग को पूरा करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया, तो उन्हें मजबूरन लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने पड़ेंगे जिसके लिए यूनियन विचार-विमर्श कर रही है और लगातार बैठकों का दौर जारी है।
धर्मशाला में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब लोकसभा और विधानसभा में यूनियन का प्रतिनिधि होगा, तभी आवाज इस संबंध में बुलंद हो पाएगी हालांकि इस दिशा में सरकार पर कोई भी अतिरिक्त खर्च नहीं आना है, लेकिन बावजूद उक्त संबंध में क्यों फैसला नहीं लिया जा रहा है सुक्खू सरकार का सवा साल का कार्यकाल बीत चुका है उन्होंने कहा कि गद्दी समुदाय की जो वंचित उपजातियां हैं उनकी संख्या 70 फीसद है जबकि जिनके राजस्व रिकार्ड में गद्दी शब्द जुड़ा है वह 30 फीसद ही हैं लेकिन अभी तक जितनी बार भी गद्दी समुदाय के लोगों को एमएलए या एमपी का टिकट मिला है, वह 30 फीसद में ही मिला है इसलिए इस बार 70 फीसद में से भी पार्टियां टिकट दें।उन्होंने कहा कि यूनियन के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के तहत बैजनाथ में 15 से 16, भटियात में 22 से 24, शाहपुर में 20 से 22, चंबा में 32 से 35 हजार वोटरों की संख्या गद्दी समुदाय की है। कुल मिलाकर 4 लाख, 80 हजार से लेकर पांच लाख तक गद्दी समुदाय के वोटरों की संख्या है। ऐसे में अब अपने प्रत्याशी उतारने की दिशा में यूनियन विचार कर रही है, ताकि उनकी समस्या का हल हो सके।