इतने दिन बीत जाने के बाद वह साक्ष्य जनता के सामने क्यों नही रख पाए है। मालोत में एक जनसभा में जहां 500 कुर्सी थी वह 200 रह गई।प्रदेश के बहुत सारे संस्थान जो पूर्व में बीजेपी सरकार ने खोले थे, उनको बंद कर दिया और द्वेष भावना से काम करना शुरू कर दिया।
राज्यसभा चुनावो के बाद एक एफआईआर शिमला के थाने में दर्ज की गई थी । इसमें पहला नाम हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा आयु 30 वर्ष, राकेश शर्मा आयु 30 वर्ष जो रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर है, और शिकायत करता संजय अवस्थी मान्य सीपीएस नाम शामिल है। अगर ऐसे ही फर्जी एफआईआर होती रही तो जनता समझ सकती है कि कितने ही कमज़ोर नेतृत्व के हाथों में प्रदेश की डोर है। इसके साथ उन्होंने मुख्यमंत्री के सेहरा गेस्ट हाउस में ठहरने पर भी तंज कसते हुए कहा कि वह 7 दिन से यहां है और राजेंद्र राणा व लखनपाल के विरोध में बोल रहे है। परंतु पास में ही सुजानपुर और अन्य चुनावी क्षेत्रों में जनता के बीच क्यों नही जा रहे है, हालांकि जनता उनके इंतजार में है। प्रदेश के अंदर 15 महीनो में जो परिस्थितियां बन गई है उसका भुगतान और जवाब कांग्रेस पार्टी को देना पड़ेगा। सुधीर ने कहा कि विशेषकर प्रदेश का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को जवाब देना होगा