पालमपुर।
पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने हिमाचल प्रदेश की बहनों से लोकसभा चुनाव में वोट देने से पहले तीन बातों पर विचार करने के लिए कहा है। पहली 1977 में जब वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए थे तो उस समय पीने का पानी लाने के लिए कई जगह सिर पर घड़ा रखकर मीलों दूर पैदल जाना पड़ता था। कांग्रेस सरकार ने पीने के पानी के लिए कोई विभाग ही नहीं बनाया था। उन्होंने कहा कि हमने पहली बार जल शक्ति विभाग बनाया और युद्ध स्टार पर पीने का पानी मुहैया कराने का काम किया। उस समय के प्रथानमंत्री मोरारजी देसाई 500 गांव को पीने का पानी देने का एक बड़ा कार्यक्रम का उद्घाटन करने के लिए दैहन में आए थे। शांता कुमार ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि हिमाचल की जनता आज तक उन्हें पानी वाला मुख्यमंत्री कहती है।
शांता कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश में पहला प्रदेश है जिसने पंचायत राज संस्थाओं व महिलाओं के लिए आरक्षण दिया था। उन्होंने उन बातों को याद करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में दो मंत्रियों ने यह कर विरोध किया था कि केवल रसोई करने वाली महिलाऐं पंचायत का काम नहीं कर सकती। लेकिन हमने निर्णय लिया। हिमाचल देश का पहला प्रदेश बना।
शांता कुमार ने कहा कि इस बार लोकसभा के चुनाव में पूरे देश में उम्मीदवारों की संख्या 4175 है, इनमें महिलाओं की संख्या केवल 358 अर्थात 8 प्रतिशत है। बहनें वोट देते समय याद रखें कि अब नरेंद्र मोदी ने विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत का आरक्षण कर दिया है। अगले चुनाव में यदि उम्मीदवारों की संख्या 4175 होगी तो उसमें महिलाएं 358 नहीं अपितु 1334 होगी। महिलाओं के लिए इस प्रकार की बहुत सी क्रांतिकारी योजनाएं सरकार ने चलाई हैं। यही सोच कर हिमाचल की बहनें एक जून को कमल के निशान पर मोहर लगाएं।