कुश्तीयों के आयोजनों की शुरुआत वसंत के आगमन से होती है। और बसंत और गर्मियों की शुरुआत का द्योतक है । बावजूद तपती धूप के लोगों में कुश्ती के प्रति जो उत्साह है वह कहीं कम नहीं है क्योंकि लगभग हर जगह मौजूद रहता है गांव पसोल डाकखाना मातला तहसील झंडूता का गंगाराम पानी पिलाने के लिए। गंगाराम स्वयं भी कुश्ती का दीवाना है कुश्ती करता भी है, और करवाता भी है, लेकिन अब वह कुश्ती देखने वालों को पानी पिलाना अपना धर्म समझता है। जिला बिलासपुर के अतिरिक्त अनेक अन्य जिलों में भी जिसमें हमीरपुर, सोलन ,मंडी उन्ना, और यहां तक की पंजाब राज्य भी शामिल है वह पानी पिलाने की जिम्मेदारी से चूकता नहीं है। लोगों को भी गंगाराम का इंतजार रहता है पानी साफ सुथरा हो सफाई का ख्याल , यह गंगाराम की पहली प्राथमिकता होती है। नाखून दिखाएं उसने! देखिए बाबूजी नाखून काट के आता हूं साफ सुथरा बर्तन में पानी भरता हूं और फिर लोगों को पिलाता हूं ।लोगों का गला तर हो जाए तो कुश्ती देखने का आनंद लबोंलुआब पर होता है।
हैंडपंप ,बावरिया, नलका चाहे जितना भी दूर हो स्वयं पानी भरकर लाता है लोगों को पिलाता है। हां कभी किसी ने कुछ पैसे दे दिए तो रख लिए, मांगना उसका धर्म नहीं है। लेकिन पानी पिलाना भी तो सबसे बड़ा करम है ना और उसे इस काम के लिए अगर किसी ने कुछ मेहनताना दे दिया तो उसमें हरजा ही क्या है। कुश्ती के मंच से गंगाराम की सराहना होती है कुश्ती देखने वालों में तो गंगाराम का खास जिक्र रहता ही है लेकिन जो पहलवान कुश्ती कर रहे होते हैं उन्हें भी ज्यादातर गंगाराम ही पानी पिलाता है। घुमारवीं ग्रीष्म महोत्सव के दौरान पानी पिलाते हुए गंगाराम को देखकर उत्सुकता हुई और उसका चित्र खींच लिया ।