धर्मशाला।
हिमाचल में लोकसभा की चारों सीटों पर परचम लहराने के बावजूद भाजपा 2019 में हासिल मतों के पहाड़ पर दोबारा नहीं चढ़ पाई है। हिमाचल में अनुराग ठाकुर और कंगना रणौत के करिश्माई चेहरे चुनाव में बड़े मार्जिन के साथ जीत जरूर दर्ज कर गए, लेकिन उनके मतों का अंतर बीते लोकसभा चुनाव के आसपास भी नहीं पहुंच पाया है।
भाजपा ने पांच साल बाद एक बार फिर कांगड़ा संसदीय सीट पर सबसे बड़ी जीत दर्ज की है, लेकिन 2019 में कांगड़ा में भाजपा जीत के मामले में देश भर में दूसरे नंबर पर थी। भाजपा के खाते में यहां 72.2 फीसदी वोट आए थे। लेकिन इस बार यह आंकड़ा इस रिकॉर्ड से कोसों दूर रह गया है। फिलहाल, भाजपा बाहरी तौर पर जीत का जश्न जरूर मना रही है लेकिन अंदरूनी आंकड़ों और बीते हिसाब-किताब ने पाटी में भीतर खलबली मचा दी है। भाजपा के इस खिसकते वोट बैंक का असर हिमाचल से दिल्ली तक नजर आया है। यही बड़ी वजह रही है जो पार्टी इस बार 400 पार का दावा करने के बावजूद 300 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई। इसी के चलते भाजपा अपने बूते स्पष्ट बहुमत भी हासिल नहीं कर पाई।
भाजपा का बड़ा वोट बैंक दूसरी ओर खिसका
भाजपा के प्रत्याशी राजीव भारद्वाज कांगड़ा में दो लाख 51 हजार 895 के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। बीते लोकसभा चुनाव में कांगड़ा सीट को भाजपा ने 7 लाख 25 हजार 218 मतों के अंतर से जीता था। अब दोनों चुनाव के बीच 4 लाख 73 हजार का बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। कांगड़ा में भले ही कांग्रेस को फायदा मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा हो, लेकिन भाजपा का बड़ा वोट बैंक दूसरी ओर जरूर खिसका है। आनंद शर्मा की हार जरूर हुई है, लेकिन कांग्रेस के वोट शेयर में 2019 के मुकाबले एक लाख 33 हजार वोट ज्यादा मिले है।