शिमला।
शिमला फल मंडी में सेब की दस्तक के साथ इसकी आवक भी बढ़ने लगी है। भट्टाकुफर फल मंडी में सोमवार को टाइडमैन सेब किलो के हिसाब से बिका। यूनिवर्सल कार्टन में लगभग हजार पेटियां बिकने के लिए पहुंची और आने वाले समय मे इसकी संख्या में बढ़ोतरी होगी। करसोग क्षेत्र से फल मंडी पहुंचा टाइडमैन सेब 700 से 1500 रुपये प्रति पेटी मे बिका।
शुरुआती दौर में जहां बहुत कम संख्या में सेब की पेटियां फल मंडी पहुंच रही थी वहीं अब भट्टाकुफर फल मंडी में टाइडमैन सेब की आवक बढ़ गई है। सभी पेटियां मंडी में यूनिवर्सल कार्टन में ही पहुंच रही है। शुरुआत में सेब का साइज छोटा होने के कारण कम दाम में बिक रहा है। सेब का आकर छोटा और रंग फीका होने की वजह से इसे बेहतर दाम नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में बागवानों की परेशानियां बढ़ गई हैं। आने वाले दिनों में जहां सेब की खेप में बढ़ोतरी के साथ अगर साइज व रंग बेहतर हुआ तो बागवानों को सेब के बेहतर दाम मिलने की संभावना है। वहीं स्टोन फ्रूट व नाशपाती भी फल मंडी पहुंच रही है।
भट्टाकुफ़्फ़र फल मंडी के आढ़ती जयकुमार ने कहा कि फल मंडी में अब सेब की आवक में बढ़ोतरी हो रही है। स्टोन फ्रूट के साथ नाशपाती भी मंडी में पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि सेब का साइज छोटा होने के कारण दाम भी कम मिल रहे हैं। सूखे की मार का असर सेब पर देखने को मिल रहा है। साइज इस बार छोटा है और आने वाले दिनों में भी सेब को भी ज्यादा दाम मिलने की संभावना कम है। उन्होंने कहा कि अभी स्टोरेज का सेब मार्केट में बिक रहा है। लोग कम दाम वाला ही सेब खरीद रहे हैं। इस कारण आने वाले दिनों में दाम में अधिक उछाल आने की संभावना कम है। अगर सेब का साइज बेहतर हुआ तो दाम बेहतर मिल सकते है। आज फल मंडी में करसोग क्षेत्र से टाईडमेन पहुंचा और अधिकतर सेब यूनिवर्सल कार्टन में आ रहा है। आज टाइडमेन जो मंडी में पहुंच है वह 50 से 70 रुपये प्रतिकिलो बिका है। वहीं नाशपाती भी 70 से 80 रुपये प्रतिकिलो बिकी।
वहीं देहा बल्सन से नाशपती बेचने पहुंचे शशिकांत ने कहा कि इस बार फसल कम हैं और नाशपती के दाम सामान्य ही मिल रहे हैं। उन्होंने सरकार द्वारा यूनिवर्सल कार्टन के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अभी शुरुआत का दौर है इसे बागवानों को इसे समझना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहले जहां एक पेटी में 35 किलो तक भी सेब भर दिया जाता था अब वह नहीं होगा। अब एक बात बेहतर है कि सभी को बराबर दाम मिलेंगे। वहीं उन्होंने खर्चे की बात करते हुए कहा कि पहले एक पेटी पर लगभग 300 रुपया खर्चा आ जाता था व गाड़ी में ढुलाई भी पेटी के हिसाब से होती थी, लेकिन अब अगर गाड़ी में पेटी के हिसाब से सेब जाएगा तो महंगा पड़ेगा परन्तु वजन के हिसाब से कोई अधिक भर बागवानों पर नहीं पड़ेगा।