अप्रैल 2016 में लॉन्च होने के बाद से, ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) एक लंबी यात्रा तय कर चुका है। अब तक, 23 राज्यों और 04 केंद्रशासित प्रदेशों की 1361 मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म पर एकीकृत किया गया है। 03 जुलाई 2023 तक, 1.75 करोड़ से अधिक किसानों और 2.45 लाख व्यापारियों को ई-नाम पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है। ई-नाम प्लेटफॉर्म पर 7.97 करोड़ मीट्रिक टन और 25.82 करोड़ संख्या (बांस, पान के पत्ते, नारियल, नींबू और स्वीट कॉर्न), की कुल मात्रा, जिसका कुल मूल्य लगभग 2.79 लाख करोड़ रुपये है, का व्यापार दर्ज किया गया है।
कृषि-विपणन क्षेत्र में ई-नाम की उपलब्धि महत्वपूर्ण रही है। 1361 विनियमित बाजार ई-नाम प्लेटफॉर्म का हिस्सा बन गए हैं। इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि विशेष रूप से अधिशेष किसान उपज के संदर्भ में प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त करने के लिए अंतर-मंडी और अंतर-राज्य व्यापार महत्वपूर्ण है। यह आवश्यक है कि अंतर-मंडी और अंतर-राज्य व्यापार के क्रम में, पारदर्शी मूल्य व्यवस्था के साथ गुणवत्ता आधारित व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ठोस कार्यक्रम लागू किए जाएं, ताकि पूरे भारत में एक कुशल और निर्बाध विपणन प्रणाली के माध्यम से किसानों की अधिशेष उपज तक पहुंच का विस्तार हो सके।
नीतिगत सुधारों को अगले स्तर पर ले जाते हुए और अंतिम उपभोक्ता मूल्य में उत्पादकों की हिस्सेदारी बढ़ाने की दृष्टि से, भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्व के बाजार यार्ड (एमएनआई) की अवधारणा और कार्यान्वयन के माध्यम से अंतर-मंडी और अंतर-राज्य व्यापार को बढ़ावा देने के लिए 21 अप्रैल, 2023 को एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। उक्त विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता कर्नाटक सरकार के विशेष सचिव (कृषि) डॉ. मनोज राजन द्वारा की गई। इसमें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, तेलंगाना, ओडिशा और बिहार के राज्य कृषि विपणन बोर्डों के सदस्य शामिल थे। राज्य प्रतिनिधियों के अलावा, भारत सरकार के डीए एंड एफडब्ल्यू के निदेशक (कृषि विपणन), डिप्टी एएमए, डीएमआई, एसएफएसी के प्रतिनिधि और ई-नाम के रणनीतिक भागीदार भी उक्त समिति के सदस्य थे। समिति को एमएनआई के कार्यान्वयन के लिए रूपरेखा की सिफारिश करने का काम सौंपा गया है।
4 जुलाई, 2023 को विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष ने एमएनआई प्लेटफॉर्म पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उपरोक्त समिति ने एमएनआई-पी प्लेटफॉर्म की कार्यान्वयन रूपरेखा, कानूनी रूपरेखा और अंतर-राज्य स्तर पर लाइसेंस तथा आवागमन, विवाद समाधान व्यवस्था, शुरुआत करने के लिए रणनीति आदि के संबंध में सिफारिशें की हैं। यह प्लेटफॉर्म, भाग लेने वाले राज्यों के किसानों को अपनी राज्य की सीमाओं से बाहर अपनी अधिशेष उपज बेचने का अवसर प्रदान करेगा। यह प्लेटफॉर्म डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करने में सहायता प्रदान करेगा और कृषि मूल्य श्रृंखला के विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता का लाभ उठाने में सक्षम होगा।