शिमला: हिमाचल प्रदेश में कैंसर की वृद्धि दर 2.2 फीसदी है जबकि राष्ट्र दर है 0.6 फीसदी हैं। आंकड़े चौंकाने वाले है परन्तु समय रहते आत्म परिवर्तन और जागरुकता के साथ बिगड़ती स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। यह विचार रविवार को विश्व कैंसर दिवस के मौके पर नाडा इंडिया फाउंडेशन द्वारा संबंधित विषय पर आयोजित नैशनल वैबिनार के दौरान प्रकट हुये। वैबिनार में हिमाचल प्रदेश के कैंसर से जुड़े विशेषज्ञ सहित देश भर के युवाओं से जुड़े और कैंसर से लड़ने पर चिंतन मंथन किया। वैबिनार के आयोजक नाडा इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक और कर्मवीर पुरस्कार विजेता सुनील वात्सायान ने बताया कि युवा शक्ति देश का भविष्य तय करती है और ऐसे उपलक्ष्यों पर जागरुक कार्यक्रम सार्थक साबित होते हैं।
शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज में ओंकोलॉजी विभाग की सीनियर रेजिडेंट डाॅ नैना नेगी के अनुसार वर्ष 2022-24 तक डब्ल्यूएचओ द्वारा कैंसर दिवस का विषय ही ‘क्लोज दी केयर गेप्स’ है जिसमें रोग के प्रति सुरक्षा और संभाल होना अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण परिवेश से है इसलिये कैंसर के अधिकतर मामले भी ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। लोगों में टोबेको और नान टोबेको उत्पादों के प्रति जागरूक होना बहुत जरुरी है जो कि निकट भविष्य में कैंसर को दावत देते हैं।
चिंताजनक आंकड़ों के बावजूद नाडा इंडिया हिमाचल सरकार द्वारा तंबाकू उत्पादों पर अंशिक रुप से अंकुश लगाने को प्रेरित करने में कामयाब रहा है। गत वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा तंबाकू व तंबाकू उत्पादों पर सीजीसीआर टेक्स बढ़ाकर तंबाकू पर अंकुश लगाए गए।
सुनील वात्सायान का मानना है कि कोविड महामारी के दौरान प्रदेश और देश को हुइ हानि की भरपाई तंबाकू पर अतिरिक्त टेक्स लगाकर ही की जा सकती है। साथ ही इन्हें महंगा कर युवाओं की पहुंच से दूर रखा जा सकता है। उन्होंने दलील दी कि देश के अन्य राज्यों को भी हिमाचल प्रदेश की तरह उदाहरण पेश करना चाहिये। तम्बाकू से जुड़े कैंसर की लड़ाई को मजबूत करना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान पत्रकार रजनीश शर्मा और कैंसर सरवाईवर प्रेम सूद ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
विगत में नाडा इंडिया हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी और प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के सहयोग से ऐसे सेंसटाइजेशन प्रोग्राम आयोजित करता रहा है।