नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दूसरी Global Summit on Traditional Medicine का आज औपचारिक समापन हो गया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा अब केवल वैकल्पिक उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आधुनिक चिकित्सा के साथ मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रभावी समाधान बन सकती है।
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए WHO के महानिदेशक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, आयुष मंत्रालय तथा विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बीते तीन दिनों में गंभीर, व्यावहारिक और भविष्य उन्मुख विचार-विमर्श हुआ, जिसने पारंपरिक चिकित्सा को नई दिशा दी है।
जामनगर बना वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा का केंद्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के जामनगर में WHO Global Centre for Traditional Medicine की स्थापना भारत के लिए गर्व का विषय है। यह केंद्र पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। समिट में हुई चर्चाएं इस केंद्र की बढ़ती भूमिका और वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाती हैं।
टेक्नोलॉजी और AI से जुड़ेगी पारंपरिक चिकित्सा
सम्मेलन के दौरान यह सहमति बनी कि पारंपरिक चिकित्सा को मजबूत बनाने के लिए रिसर्च, डिजिटल टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग आवश्यक है। समिट के एक्सपो में आधुनिक तकनीक आधारित समाधान, AI टूल्स और रिसर्च इनोवेशन प्रदर्शित किए गए, जिससे परंपरा और विज्ञान के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिला।
योग को मिली वैश्विक पहचान, पीएम योग पुरस्कार प्रदान
प्रधानमंत्री ने योग को पारंपरिक चिकित्सा का अहम स्तंभ बताते हुए कहा कि योग ने पूरी दुनिया को संतुलित जीवनशैली का मार्ग दिखाया है। भारत के प्रयासों से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिली। इस अवसर पर योग के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को पीएम योग पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
Traditional Medicine Global Library की शुरुआत
समिट के दौरान Traditional Medicine Global Library का शुभारंभ किया गया। इस डिजिटल मंच पर पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े वैज्ञानिक शोध, नीतिगत दस्तावेज और प्रमाण आधारित जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध होगी। यह पहल पहले G20 मंच पर प्रस्तावित की गई थी।
दिल्ली डिक्लेरेशन से तय होगा भविष्य का रोडमैप
विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और विशेषज्ञों के संवाद के बाद दिल्ली डिक्लेरेशन को अंतिम रूप दिया गया। यह दस्तावेज पारंपरिक चिकित्सा में गुणवत्ता, सुरक्षा, मानक और निवेश के लिए एक साझा वैश्विक रोडमैप के रूप में काम करेगा।
सम्मेलन की थीम “Restoring Balance” पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मधुमेह, हृदय रोग, मानसिक तनाव और कैंसर जैसी बीमारियों की जड़ जीवनशैली का असंतुलन है। उन्होंने इसे केवल चुनौती नहीं बल्कि वैश्विक आपातकाल बताया।
अश्वगंधा से लेकर कैंसर केयर तक भारत की पहल
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत पारंपरिक औषधियों जैसे अश्वगंधा को वैज्ञानिक शोध और प्रमाण के आधार पर वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल कर रहा है। आयुष मंत्रालय और WHO मिलकर इंटीग्रेटिव कैंसर केयर को भी आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा आज एक निर्णायक मोड़ पर है। इसे विज्ञान, विश्वास और जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाना सभी देशों की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी राष्ट्रों से सहयोग और साझेदारी को मजबूत करने का आह्वान किया।
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