धर्मशाला 02 सितम्बर : भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी संजय शर्मा ने कहा वर्तमान सुखविन्द्र सुक्खू सरकार के कुछ मंत्री अपनी प्रतिदिन की कार्यशैली से जहां प्रदेश की जनता का नुकसान कर रहे हैं वहीं अपनी विश्वसनीयता को समाप्त कर रहे हैं। चैधरी चंद्र कुमार, जगत सिंह नेगी और विक्रमादित्य सिंह इसी प्रकार की हरकतों में लगे हुए हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि विक्रमादित्य सिंह एक दिन 1000 करोड़ की मांग करते हैं, दूसरे दिन 10 हजार करोड़ और तीसरे दिन 20 हजार करोड़ की मांग करते हैं। या तो उन्हें 1000 करोड़ और 20 हजार करोड़ में अंतर समझ नहीं आता या तो वो मीडिया में छाये रहने के लिए कुछ न कुछ बोलना चाहते हैं
भाजपा नेता ने कहा कि 2643 करोड़ रू0 नरेन्द्र मोदी की सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय से हिमाचल प्रदेश की सरकार को प्राप्त हुआ जिसके लिए पहले चरण में विक्रमादित्य केन्द्रीय मंत्री के साथ फोटो खिंचवाकर उक्त राशि के लिए उनका धन्यवाद किया। बाद में कह दिया कि यह पैसा हमने पिछले साल मांगा था। शायद वह भूल गए हैं कि पिछले साल हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, उनकी नहीं।
शर्मा ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जब एन0एच0ए0आई0 के माध्यम से सड़कों के पुनर्निमाण करने की घोषणा की तो इन्होनें उनका आभार व्यक्त किया औ रबाद में अपनी बात से पीछे हट गए। हिमाचल प्रदेश की प्रबुद्ध जनता अब यह जान चुकी है कि ये आये दिन नया बयान देकर सुर्खियों में रहना चाहते हैं और जनता से इन्हें कोई लेना-देना नहीं है।
चौधरी चंद्र कुमार ने पिछले दिनों धर्मशाला में आयोजित एक प्रेस वार्ता में स्वयं यह माना की सरकार ने अभी तक प्रदेश में मात्र 165 करोड़ रु की सहायता पूरे प्रदेश में की है उस सरकार की गंभीरता के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लगता है और यह भी साबित होता है की प्रदेश सरकार लोगों को राहत पहुंचाने में नाकाम साबित हो रही है जबकि केंद्र सरकार की ओर से नकदी के तौर पर अलग-अलग मदों से 862 करोड़ रूपया प्रदेश सरकार को राहत के तौर पर दिया जा चुका है।
मंत्री के सरकार ने सुख की सरकार की सच्चाई जनता के सामने लाकर के रख दी है।
जहां सरकार आपदा के समय में राहत पहुंचाने में सफल हो रही है वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश में भेदभाव कर रही है जिस तरह मंडी में विश्वविद्यालय का दायरा घटाने का काम हो रहा है इस तरह केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के निर्माण कार्य पर भी अड़ंगा अदा रही है पिछले दो
महीने से पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बावजूद 30 करोड़ रूपया प्रदेश सरकार ने जो वन मंत्रालय को जमा करवाना है इसकी मंजूरी नहीं दी जा रही है इससे यह साबित होता है की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश की जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है और प्रदेश के मंत्री प्रदेश के हितों की बात उठाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।