नई दिल्ली। पिछले एक दशक की तुलना से स्पष्ट होता है कि वर्ष 2014 के बाद भारतीय कृषि नीति में व्यापक और संरचनात्मक परिवर्तन हुए हैं। धान की खरीद, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भुगतान और वैज्ञानिक नवाचारों के आंकड़े इस बदलाव की गवाही देते हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014-15 से 2024-25 के बीच धान की कुल खरीद 7,608 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई, जबकि इससे पहले के दशक में यह आंकड़ा 4,590 लाख मीट्रिक टन था। इसी अवधि में धान किसानों को एमएसपी के तहत किया गया भुगतान बढ़कर 14.16 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 2014 से पहले दिए गए भुगतान से तीन गुना से अधिक है।
वहीं, 14 खरीफ फसलों के लिए कुल एमएसपी भुगतान 16.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि पूर्ववर्ती वर्षों में यह 4.75 लाख करोड़ रुपये तक सीमित था। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2025 तक एमएसपी केवल एक नीतिगत घोषणा नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक भरोसेमंद आर्थिक सुरक्षा बन चुका है।
कृषि विज्ञान और सतत विकास पर जोर
वर्ष 2025 में भारत ने कृषि विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। भारत जीनोम-संपादित चावल की किस्मों को विकसित और जारी करने वाला विश्व का पहला देश बना। डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस 1 नामक इन किस्मों में अधिक उपज, शीघ्र परिपक्वता और लवणीय व क्षारीय मिट्टी के प्रति सहनशीलता जैसे गुण हैं।
अनुमान है कि इन किस्मों की अनुशंसित क्षेत्रों में खेती से लगभग 45 लाख टन अतिरिक्त धान उत्पादन संभव होगा, जिससे लागत में कमी और जलवायु परिवर्तन के प्रति कृषि की मजबूती बढ़ेगी।
सतत विकास के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। महाराष्ट्र ने मात्र 30 दिनों में 45,911 ऑफ-ग्रिड सौर कृषि पंप स्थापित कर एक नया कीर्तिमान बनाया, जिसे वर्ष 2025 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा मान्यता दी गई। इसे हरित और ऊर्जा-संवहनीय कृषि की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में कृषि
कृषि को राष्ट्रीय प्राथमिकता देने का संकेत बजटीय आवंटन में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का बजट वर्ष 2013-14 में 21,933.50 करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 2025-26 में 1,27,290.16 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जानकारों के अनुसार, यह वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों और कृषि क्षेत्र को दी गई प्राथमिकता को दर्शाती है।
2025 भारतीय किसानों के लिए आत्मविश्वास का वर्ष
वर्ष 2025 को कृषि सुधारों के एक दशक की सफलता के रूप में देखा जा रहा है। सुसंगत नीतियों, सुनिश्चित मूल्य व्यवस्था, वैज्ञानिक नवाचार और केंद्र व राज्यों के समन्वित प्रयासों ने कृषि क्षेत्र में नया भरोसा पैदा किया है।
रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन, मजबूत एमएसपी प्रणाली, पीएमडीडीकेवाई जैसी योजनाएं और दलहन में आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदमों ने भारतीय कृषि की तस्वीर बदल दी है। अब कृषि को स्थिरता, आत्मनिर्भरता और आकांक्षा के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण से गहराई से जुड़ी हुई है।





















