हिमाचल प्रदेश के सबसे प्राचीन व समृद्ध गद्दी समुदाय की छह उप-जातियों के समुह हिमालयन गद्दी यूनियन ने अपनी वर्षों पुरानी मांग को अब तक पूरा न होने पर रविवार को प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला में महासम्मेलन से बड़ी हुंकार भरी है धर्मशाला सिद्धबाड़ी के जोराबर सिंह मैदान में गद्दी समुदाय की छह उपजातियों के लोगों ने हजारों की संख्या में पारंपरिक पहनावे नुआचड़ी-चोलु में एकत्रित होकर अपनी आवाज बुलंद की यूनियन के पदाधिकारियों ने एक मंच में आवाज बुंलद करते हुए कहा कि 75 वर्षों से उन्हें उपेक्षा का शिकार बनाया जा रहा है गद्दी समुदाय की छह उप-जातियों में सिप्पी, धोगरी, रिहाड़े, वाड़ी, हाली व लौहार को गद्दी शब्द से वंचित रखा जा रहा है, जो कि मात्र राजस्व त्रुटि है उन्होंने कहा कि मात्र राजनीतिक लाभ के लिए बड़ी जनसंख्या व वोट बैंक के लिए गद्दी समुदाय की उप-जातियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
हिमालयन गद्दी यूनियन के राज्य अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि गद्दी समुदाय की छह वंचित उप-जातियों के साथ राजस्व अभिलेख में गद्दी शब्द जुड़ा है, जोकि बाद में हटाया गया है प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि पिछली सरकार से 19 बार मिले है, जबकि इस बार की वर्तमान सरकार से चार बार मिल चुके हैं ऐसे में लगातार यूनियन की मांग को बार-बार अनसुना कर दिया है ऐसे में क्या अब उपजातियों के लोगों में से ही जितना संभव हो लोगों को विधानसभा के दरवाज़े में पहुंचाने का कदम उठाना होगा उन्होंने ऐलान किया कि इस बार उपजातियों से उम्मीदवार विधानसभा के उपचुनावों में उतरने के लिए तैयार हैं उन्होंने राजनैतिक दलों से टिकट देने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि 17 विस् सीटों में बड़ी संख्या में लोग रहते हैं, जिसका प्रभाव आगामी समय में भी चुनावों में देखने को मिलता है इस दौरान एक दर्जन के करीब राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों ने अपने वक्तव्य से गद्दी शब्द को प्रदान किए जाने के लिए जोर-शोर से आवाज उठाई उन्होंने विधानसभा घेराव व विस चुनावों में उतरने की ऐलान किया इस मौके पर दर्जनों लोक कलाकारों ने अपने गीतों की प्रस्तुति देकर खूब समां बांधा इसमें जलबोनेया ढोला फेम बहादुर भारद्वाज, सुजाता भारद्वाज, विजय, दिशा व अन्य कलाकारों ने भी लोगों का लोकगीतों से खूब मंनोरजन किया।