नई दिल्ली : वर्ष 2025 भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी यात्रा में एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में दर्ज हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष विज्ञान, परमाणु ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति के साथ भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब केवल वैश्विक तकनीकों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि उनका सक्रिय निर्माता और दिशा-निर्धारक बन चुका है। यह परिवर्तन विकसित भारत@2047 के विजन के अनुरूप तकनीकी आत्मनिर्भरता को ठोस आधार प्रदान करता है।
एआई क्रांति: डिजिटल भारत की मजबूत नींव
इंडिया एआई मिशन के तहत सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर नैतिक, समावेशी और मानव-केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा दिया है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में राष्ट्रीय एआई अवसंरचना का बड़ा विस्तार करते हुए 15,916 नए जीपीयू जोड़े गए, जिससे देश की कुल कंप्यूट क्षमता 38,000 जीपीयू से अधिक हो गई।
सब्सिडी दरों पर उपलब्ध यह कंप्यूट क्षमता एआई को ग्रामीण और शहरी भारत तक लोकतांत्रिक रूप से पहुंचाने की दिशा में अहम कदम है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के 2025 ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी टूल में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, जहां उसने कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र: आत्मनिर्भरता की नई बुनियाद
मई 2025 में नोएडा और बेंगलुरु में 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन इकाइयों के शुभारंभ के साथ भारत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में ऐतिहासिक छलांग लगाई। सितंबर 2025 में आयोजित सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन के दौरान भारत की पहली स्वदेशी ‘विक्रम-32-बिट’ चिप प्रस्तुत की गई।
वर्ष 2025 में पांच नई सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी गई, जिससे छह राज्यों में कुल 10 इकाइयों के साथ लगभग 1.60 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक वैश्विक सेमीकंडक्टर खपत का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करना है।
महत्वपूर्ण खनिज और चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर कदम
जनवरी 2025 में शुरू किया गया 16,300 करोड़ रुपये का राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन दुर्लभ मृदा तत्वों की घरेलू आपूर्ति को मजबूत कर रहा है। इसके साथ ही 1,500 करोड़ रुपये की पुनर्चक्रण योजना ने क्लोज्ड-लूप रिसोर्स मैनेजमेंट को प्रोत्साहित करते हुए भारत को चक्रीय अर्थव्यवस्था की दिशा में अग्रसर किया है।
अंतरिक्ष विज्ञान: भारत की वैश्विक उड़ान
इसरो ने जुलाई 2025 में निसार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया, जबकि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय बने। नवंबर 2025 में भारत का अब तक का सबसे भारी उपग्रह सीएमएस-03 प्रक्षेपित किया गया।
निजी क्षेत्र में स्काईरूट एयरोस्पेस का विक्रम-I रॉकेट और इन-स्पेस के नेतृत्व में तेजी से बढ़ता स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में सशक्त भूमिका दिला रहा है।
परमाणु ऊर्जा और अनुसंधान सुधार: नई संभावनाओं का द्वार
दिसंबर 2025 में पारित आण्विक ऊर्जा विधेयक, 2025 ने निजी भागीदारी के द्वार खोलते हुए इस क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए। वहीं एक लाख करोड़ रुपये का रिसर्च डेवलपमेंट एंड इनोवेशन (RDI) फंड और ‘विज्ञान धारा’ पहल ने अनुसंधान एवं नवाचार इकोसिस्टम को नई गति प्रदान की।





















