आज बुधवार को सुबह रामनवमी के उपलक्ष्य पर धोलाधार की पहाड़ियों में स्थित कुनाल पत्थरी मन्दिर में भंडारे का आयोजन किया गया। सिध्दात्री के नवम दिन पर दर्शन करने के लिए श्रदालुयो की लंबी कतार लगी। हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के सामने नतमस्तक हुए। मंदिर के पुजारी से बातचीत के दौरान उन्होंने लोगो के मां पर आस्था एवं विश्वास और होने वाले चमत्कारों के बारे में बताया। इसी के साथ दर्शन करने आए लोगो से भी वार्ता हुई, जिसमे उन्होंने काफी हर्षोल्लाहास दिखाया।
कुनाल पत्थरी मंदिर का इतिहास
51 शक्तिपीठों में से यह शक्तिपीठ मां सती के अंगों में से एक है। मान्यता है कि मां सती का यहां पर कपाल गिरा था और यह शक्तिपीठ मां कपालेश्वरी के नाम से विख्यात हुआ। मां सती ने पिता द्वारा किए गए शिव के अपमान से कुपित होकर पिता राजा दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए थे, तब क्रोधित शिव उनकी देह को लेकर पूरी सृष्टि में घूमे। शिव का क्रोध शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। उनके टुकड़े धरती पर जहां-जहां गिरे, वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए।