चंडीगढ़, 29 दिसंबर। पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर केंद्र सरकार के “विकसित भारत-रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025 (VB- G RAM G Act, 2025)” के खिलाफ सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), पंजाब के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने लगाए। उन्होंने कहा कि आप सरकार मनरेगा मजदूरों को गुमराह कर इस कानून के विरोध में जबरन और धोखे से उनसे हस्ताक्षर करवा रही है।
पंजाब के मजदूर VB- G RAM G Act, 2025 के विरोध में
अश्वनी शर्मा ने दावा किया कि पंजाब सरकार ग्राम सेवकों के माध्यम से मजदूरों से एक विशेष फॉर्म भरवा रही है, ताकि यह दिखाया जा सके कि पंजाब के मजदूर VB- G RAM G Act, 2025 के विरोध में हैं, जबकि हकीकत इसके उलट है। शर्मा ने इस फॉर्म को सार्वजनिक करते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश है। इस अवसर पर भाजपा पंजाब के मीडिया प्रमुख विनीत जोशी और प्रवक्ता एस.एस. चनी भी मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि शराब घोटाले में जेल जाने के बाद जमानत पर बाहर आए और दिल्ली की जनता द्वारा चुनावों में पराजित अरविंद केजरीवाल अब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के माध्यम से केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। शर्मा के अनुसार यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि देश के संघीय ढांचे के लिए भी खतरा है।
मजदूरों को अब 100 दिनों के बजाय 125 दिनों का रोजगार मिलेगा
अश्वनी शर्मा ने नए कानून की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि VB- G RAM G Act, 2025 के तहत ग्रामीण मजदूरों को अब 100 दिनों के बजाय 125 दिनों का रोजगार मिलेगा। साथ ही, समय पर काम उपलब्ध न होने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान है। उन्होंने सवाल उठाया कि मजदूरों के हित में बने इस कानून का मुख्यमंत्री भगवंत मान विरोध क्यों कर रहे हैं।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि आप सरकार पिछले तीन वर्षों में मौजूदा मनरेगा कानून के तहत भी मजदूरों को 100 दिन का रोजगार देने में विफल रही है, लेकिन इस विफलता पर मुख्यमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा के प्रावधानों के अनुसार, मजदूर द्वारा काम की मांग करने के 15 दिनों के भीतर रोजगार देना अनिवार्य है, अन्यथा बेरोजगारी भत्ता देना होता है। इसके बावजूद पंजाब सरकार न तो समय पर काम दे रही है और न ही बेरोजगारी भत्ता।
शर्मा ने मनरेगा की धारा 25 का हवाला देते हुए पूछा कि प्रदेश के 23 जिलों में इस प्रावधान के उल्लंघन पर कितने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उन्होंने अनुसूचित जाति के मजदूरों से जुड़े मामलों में एससी एक्ट के तहत अनिवार्य कार्रवाई न होने का भी आरोप लगाया।
भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए अनिवार्य सोशल ऑडिट तक नहीं करवा रही
उन्होंने यह भी कहा कि आप सरकार मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए अनिवार्य सोशल ऑडिट तक नहीं करवा रही है। उनके अनुसार वर्ष 2024-25 में 6,095 ग्राम पंचायतों और 2025-26 में 7,389 ग्राम पंचायतों में सोशल ऑडिट नहीं कराया गया। इसके अलावा, स्पेशल ऑडिट यूनिट द्वारा पकड़े गए 3,986 भ्रष्टाचार मामलों में अब तक कोई एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी नहीं की गई है।
अश्वनी शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि लोकपाल/ओम्बड्सपर्सन द्वारा जांच के बाद 2 करोड़ 35 लाख रुपये की रिकवरी के आदेश दिए गए थे, लेकिन उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया। इससे सरकार की नीयत और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि जब खुद कांग्रेस नेतृत्व मनरेगा में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करता है
कांग्रेस पर तंज कसते हुए शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी स्वयं मानते हैं कि मनरेगा में भ्रष्टाचार है। उन्होंने एक वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने स्वीकार किया था कि कानून लागू होने के सात साल बाद भी भ्रष्टाचार जारी है, न तो 15 दिनों में काम मिलता है और न ही समय पर मजदूरी। उन्होंने यह भी कहा कि 2,252 करोड़ रुपये के ऐसे कार्य कराए गए जिनकी अनुमति नहीं थी।
भाजपा नेता ने कहा कि जब खुद कांग्रेस नेतृत्व मनरेगा में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करता है, तो फिर इस मुद्दे पर कांग्रेस और आप सरकार का विरोध समझ से परे है।





















