शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनाथ और वंचित बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाकर उनके जीवन को नई दिशा देने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार संवेदनशील और समावेशी दृष्टिकोण के साथ समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।
बेसहारा महिलाओं और वृद्धजनों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य- सुक्खू
अनाथ बच्चों, बेसहारा महिलाओं और वृद्धजनों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत लगभग 6,000 अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया गया है। अनाथ बच्चों के संरक्षण और कल्याण के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।
सरकार इन बच्चों को 27 वर्ष की आयु तक निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवा रही है, जिसमें उच्च शिक्षा, व्यावसायिक एवं कौशल विकास के अवसर शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें उद्यमिता सहयोग, आवास सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा गोवा, अमृतसर और दिल्ली जैसे स्थानों की ट्रेन और हवाई यात्राओं के माध्यम से एक्सपोज़र विज़िट की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। रहने की व्यवस्था में उन्हें पाँच सितारा जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
योजना के अंतर्गत 371 विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा, छात्रावास और शिक्षण शुल्क के लिए 1.53 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है, जबकि 238 लाभार्थियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया गया है। कोचिंग, कौशल विकास अनुदान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को वर्तमान रोजगार परिदृश्य के लिए सक्षम बनाया जा रहा है।
उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 75 युवाओं को 65.36 लाख रुपये की वित्तीय सहायता
सामाजिक सुरक्षा के तहत बीते तीन वर्षों में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से कुल 28 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। इनमें 2,635 बच्चों को वस्त्र भत्ता, 3,268 बच्चों को उत्सव भत्ता, 2,471 बच्चों को पोषण भत्ता एवं स्टार्ट-अप सहायता शामिल है। वहीं 264 लाभार्थियों को 5.16 करोड़ रुपये का विवाह अनुदान भी प्रदान किया गया है।
उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 75 युवाओं को 65.36 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देकर स्वरोज़गार के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इसके अलावा 423 लाभार्थियों को आवास निर्माण सहायता और पात्र व्यक्तियों को भूमि आवंटन भी किया गया है।
मुख्यमंत्री विधवा एवं एकल नारी आवास योजना के तहत 26 लाभार्थियों को 3 लाख रुपये प्रति व्यक्ति की सहायता दी गई है, जिसके अंतर्गत अब तक 78 लाख रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
सुख-आश्रय योजना ने अनाथ और कमजोर वर्ग के बच्चों को न केवल संरक्षण दिया
वहीं इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना के अंतर्गत 19,479 बच्चे और 453 युवा उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। राज्य सरकार इन बच्चों को 1,000 रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना ने अनाथ और कमजोर वर्ग के बच्चों को न केवल संरक्षण दिया है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी नागरिक बनने का अवसर भी प्रदान किया है। यह योजना इस बात का प्रमाण है कि संवेदनशील और समावेशी शासन व्यवस्था समाज में स्थायी और सकारात्मक बदलाव ला सकती है।





















