नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब रेल दुर्घटनाओं की संख्या बहुत कम हो गई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पिछले दस साल में औसतन 171 दुर्घटनाएँ होती थीं, जबकि अब 2025-26 तक यह संख्या केवल 11 रह गई है। यह रेलवे के लिए सुरक्षा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।
सुरक्षा पर खर्च में बढ़ोतरी
रेल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने बजट लगभग तीन गुना बढ़ा दिया है। 2013-14 में यह ₹39,463 करोड़ था, जो अब 2025-26 में ₹1,16,470 करोड़ तक पहुंच गया है। यह पैसा तकनीक सुधारने, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और अन्य सुरक्षा उपायों में लगाया जा रहा है।
तकनीकी सुधार जो दुर्घटनाएँ रोक रहे हैं
भारतीय रेलवे ने कई तकनीकी उपाय अपनाए हैं, जिनसे दुर्घटनाओं की संभावना कम हुई है:
- इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम (EIS): स्टेशन पर सिग्नल और पथ परिवर्तन का बेहतर समन्वय करता है, जिससे मानवीय त्रुटियाँ कम होती हैं।
- केंद्रीकृत ट्रैक-सर्किटिंग: ट्रैक पर ट्रेनों की गति और स्थिति पर निगरानी रखता है।
- कवच प्रणाली: ट्रेन को नियंत्रित करता है और दुर्घटनाओं को रोकता है।
- कोहरे से सुरक्षा उपकरण: घने कोहरे में ट्रेन चलाने को सुरक्षित बनाते हैं।
इसके अलावा GPS आधारित सुरक्षा उपकरण, उन्नत ट्रैक निर्माण, पुलों की निगरानी और नियमित जाँच जैसी कई अन्य सुरक्षा व्यवस्था भी लागू की गई हैं।
ट्रेनिंग और स्थानीय सहभागिता
रेल प्रशासन स्थानीय पुलिस, RPF और राज्य सुरक्षा समितियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। स्थानीय लोग भी संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने के लिए जागरूक किए जा रहे हैं। इससे न केवल दुर्घटनाएँ कम हुई हैं, बल्कि सुरक्षा संबंधी खतरे भी घटे हैं।
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