सिधिविनायक टाइम्स: शिमला। लोकसभा के शून्यकाल में आज हिमाचल प्रदेश के पौंग डैम विस्थापितों का मुद्दा एक बार फिर ज़ोरदार तरीके से उठा, जब हमीरपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री **अनुराग सिंह ठाकुर** ने इन हजारों प्रभावित परिवारों की अब तक अधूरी पड़ी पुनर्वास प्रक्रिया पर गंभीर चिंता जताई। ठाकुर ने कहा कि पचास वर्षों से ज़मीन और पुनर्वास का इंतज़ार कर रहे इन परिवारों की उपेक्षा लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवीय ज़िम्मेदारी के खिलाफ है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि जलशक्ति मंत्रालय और गृह मंत्रालय के नेतृत्व में एक **अंतर-मंत्रालयी समिति** का गठन कर मामले के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएँ। कांगड़ा क्षेत्र से संबद्ध इस ऐतिहासिक विस्थापन में 339 गांवों के 20,000 से अधिक परिवार प्रभावित हुए थे, जिनके लिए राजस्थान में बसावट का वादा किया गया था। ठाकुर ने सदन को याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और कई सरकारी निरीक्षणों के बावजूद **6,700 से अधिक परिवार आज भी भूमि आवंटन की प्रतीक्षा में हैं**, जबकि पहले से बसाए गए परिवार भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव का सामना कर रहे हैं।
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उन्होंने जोर देकर कहा कि पहाड़ के लोगों ने देश के हित में अपने संसाधन और जीवन का बड़ा हिस्सा समर्पित किया है, इसलिए उनके साथ न्याय सुनिश्चित करना केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है। ठाकुर ने पेंडिंग अलॉटमेंट की निगरानी के लिए हाई-पावर कमेटी को मज़बूत करने, पुनर्वास क्षेत्रों में सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विशेष बजट की व्यवस्था करने और विस्थापित परिवारों के दस्तावेज़ तथा किसान क्रेडिट कार्ड जैसी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की भी मांग की। उनके इस वक्तव्य को कांगड़ा के सांसद **राजीव भारद्वाज** ने सदन में समर्थन दिया, जिससे मामले की गंभीरता और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों की एकजुटता स्पष्ट होती है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और दोनों राज्यों की सरकारें फेडरल सहयोग की भावना से काम करते हुए इस लंबे समय से लंबित पड़े मानवीय मुद्दे को शीघ्रता से सुलझाएं।





















