मंडी/सरकाघाट: प्रदेश सरकार की कृषि और बागवानी को बढ़ावा देने वाली योजनाएं अब ज़मीनी स्तर पर असर दिखाने लगी हैं। मंडी जिले के सरकाघाट उपमंडल की ग्राम पंचायत जुकैण के ठौर गांव निवासी किसान प्रेमचंद ने पारंपरिक खेती छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती अपनाई और सफलता की नई कहानी लिखी है। उनकी यह पहल अब क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन रही है।
उद्यान विभाग के सहयोग से शुरू की नई खेती
हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन से प्रेमचंद ने वर्ष 2024 में अपनी लगभग ढाई बीघा भूमि पर जम्बो रेड किस्म के ड्रैगन फ्रूट के करीब 800 पौधे लगाए। खेती की शुरुआत के लिए खेत को समतल किया गया, रेज्ड बेड तैयार किए गए और पौधों को सहारा देने के लिए ट्रेलिस तकनीक अपनाई गई। पौधे महाराष्ट्र से मंगवाए गए थे।
पहले ही साल में मिला उत्साहजनक परिणाम
ड्रैगन फ्रूट की खेती से प्रेमचंद को पहले ही सीजन में अच्छा लाभ मिला। वर्ष 2025 में प्रारंभिक फसल से उन्होंने लगभग 50 हजार रुपये की आय अर्जित की। अब तक करीब दो क्विंटल फल बाजार में 250 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक चुके हैं। भविष्य में पौधों के पूरी तरह विकसित होने के बाद उत्पादन और आमदनी बढ़ने की उम्मीद है।
पारंपरिक खेती से कम लाभ, नई फसल से बढ़ी आमदनी
प्रेमचंद बताते हैं कि पहले वे पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, जिसमें मेहनत के अनुपात में लाभ कम मिलता था। उद्यान विभाग द्वारा ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रेरित किए जाने के बाद उन्होंने बदलाव का फैसला लिया। अब वे इस खेती का क्षेत्रफल बढ़ाने की योजना भी बना रहे हैं।
‘सुपर फ्रूट’ के प्रति बढ़ा रहे जागरूकता
ड्रैगन फ्रूट को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है, लेकिन अभी ग्रामीण क्षेत्रों में इसके बारे में जागरूकता कम है। प्रेमचंद स्वयं लोगों को इसके पोषण और औषधीय गुणों की जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह फल बिना फ्रिज के भी करीब दो महीने तक सुरक्षित रह सकता है, जिससे इसकी मार्केटिंग आसान हो जाती है।
प्राकृतिक खेती को दी प्राथमिकता
प्रेमचंद पूरी तरह प्राकृतिक खेती को अपनाए हुए हैं। वे किसी भी तरह के रासायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते। उनके खेत में ड्रैगन फ्रूट के साथ-साथ सीताफल और पपीता जैसे अन्य फलदार पौधे भी लगाए गए हैं। इस कार्य में उनके बेटे अर्जुन शर्मा का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।
सरकारी योजनाओं से मिला आर्थिक सहारा
उद्यान विभाग की एमआईडीएच योजना के तहत प्रेमचंद को ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए कुल 62 हजार रुपये की सब्सिडी स्वीकृत हुई है, जिसमें से 38 हजार रुपये की पहली किस्त मिल चुकी है। इसके अलावा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत ड्रिप सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई, जिस पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी गई।
विशेषज्ञों की राय: किसानों के लिए बेहतर विकल्प
विषय विशेषज्ञ डॉ. अनिल ठाकुर ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट कम समय में अच्छा उत्पादन और बेहतर बाजार मूल्य देता है। यह फसल अधिक तापमान वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, इसलिए जिले के गर्म इलाकों में इसके विस्तार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं उद्यान विकास अधिकारी डॉ. विपिन ने कहा कि प्रेमचंद जैसे किसान यह साबित कर रहे हैं कि सरकारी योजनाओं और सही तकनीक से कम भूमि में भी अच्छी आमदनी संभव है





















