राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में भारत सरकार ने खादी, हथकरघा हस्तशिल्प, ग्रामोद्योग और अन्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने व आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2023 तक खादी महोत्सव की शुरुआत की है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग, संसद के एक अधिनियम द्वारा पारित विधि विहित संगठन है। जोकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। जिसका मुख्य उद्देष्य रोजगार प्रदान करना, बिक्री योग्य वस्तुओं का उत्पादन एवं जनता में आत्मनिर्भरता एवं सुदृढ़ ग्राम स्वराज की भावना निर्माण करना है। प्रधानमंत्री के विजन ‘वोकल फॉर लोकल’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ को पूर्ण करने तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा प्रेषित निर्देष की परिपालना में इस कार्यालय द्वारा खादी महोत्सव-2023 अभियान जो 02 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2023 तक मनाया जा रहा है। उक्त अभियान के अन्तर्गत मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं के विषय में जागरूकता बढ़ाने आदि के बारे में विदर्भ क्षेत्र के सभी जिलों के कालेजों, सरकारी कार्यालयों, भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है, उक्त कार्यक्रमों में स्थानीय उद्यमियों की सफल कहानीयों, खादी वस्त्र के लिये सूत कताई प्रक्रिया और कुम्हार द्वारा निर्मित वस्तुओं के निर्माण की प्रक्रिया का सजीव प्रदर्षन, खादी एवं ग्रामोद्योग वस्तुओं की बिक्री का प्रदर्षन तथा क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थित व्यक्तियों के साथ सीधे संवाद स्थापित कर ‘वोकल फॉर लोकल’ उत्पादों को बढ़ावा देने एवं मंत्रालय की उपलब्ध योजनाओं के बारे में आम जनो को जागरूक कर सफल उद्यमी बनने के लिये प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है।
इस संबंध में सीयूएचपी, हिमाचल खादी मंडल, कुल्लू के सहयोग से Central University of Himachal के Dharamshala परिसर में खादी महोत्सव आयोजित कर रहा है I जहां वे खादी कपड़े, साड़ी, ड्रेस सामग्री, कुर्ता, जैकेट, बेडशीट, ब्यूटी जैसे उत्पादों की एक विविध श्रृंखला एवं अन्य घरेलू सामान का प्रदर्शन कर रहे हैं। सीयूएचपी में महोत्सव का उद्देश्य धर्मशाला के नागरिकों विशेषकर युवाओं, छात्रों को खादी के प्रति जागरूक करना और उन्हें खादी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य लोगों को लोकल के लिए वोकल बनने के लिए प्रोत्साहित करना भी है। इस प्रकार के जागरूकता और प्रोत्साहन से बुनकरों और कुटीर उद्योग में लगे श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने में भी मदद मिलेगी। यह “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक कदम है और खादी और ग्रामोद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प, ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) उत्पादों और स्थानीय स्तर पर उत्पादित विभिन्न पारंपरिक और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हमारा छोटा सा प्रयास है I
आज सीयूएचपी के कुलपति सत प्रकाश बंसल ने सीयूएचपी के धर्मशाला परिसर में इसका उद्घाटन किया I