13 दिसंबर 2025 को दिल्ली स्थित संसद भवन परिसर में वर्ष 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी मनाई गई। इस अवसर पर देश के शीर्ष नेताओं ने उस हमले में शहीद हुए सुरक्षा कर्मियों और कर्मचारियों को श्रद्धांजलि दी। यह हमला भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान की रक्षा करने वाली सबसे बड़ी संस्था पर किया गया था। इस हमले को नाकाम करते हुए कई बहादुर लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनकी शहादत को 24वीं बरसी पर पूरे सम्मान और भावनाओं के साथ याद किया गया।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के नेता, राज्यसभा और लोकसभा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी, संसद सदस्य, पूर्व सदस्य और अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। शहीदों के परिवारजन भी इस मौके पर मौजूद थे। सभी ने पुष्प अर्पित कर वीर शहीदों को नमन किया और उनके बलिदान को याद किया।
र्ष 2001 में शहीद हुए सभी सुरक्षा कर्मियों और कर्मचारियों का साहस और कर्तव्यनिष्ठा पूरे देश के लिए गर्व की बात
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने अपने संदेश में कहा कि वर्ष 2001 में शहीद हुए सभी सुरक्षा कर्मियों और कर्मचारियों का साहस और कर्तव्यनिष्ठा पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि इन वीरों ने संसद भवन की रक्षा करते हुए आतंकवादियों का सामना किया और अपने कर्तव्य से कहीं आगे बढ़कर लोकतंत्र और राष्ट्र की सुरक्षा को बचाया। उनका यह बलिदान आने वाली पीढ़ियों को देशसेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।
13 दिसंबर 2001 को हुए इस हमले में कई बहादुर लोगों ने आतंकवादियों को रोकते हुए अपनी जान गंवाई। इनमें राज्यसभा सचिवालय के सुरक्षा सहायक, केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की महिला कांस्टेबल, दिल्ली पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी, तथा संसद परिसर में कार्यरत एक कर्मचारी शामिल थे। इन सभी ने अपने साहस और निस्वार्थ सेवा से देश की रक्षा की।
शहीदों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा
देश के नेतृत्व ने यह भी दोहराया कि इन शहीदों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा। सरकार द्वारा उन्हें मरणोपरांत उच्च नागरिक और सैन्य सम्मानों से सम्मानित किया गया, ताकि देश हमेशा उनके योगदान को याद रखे। यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम इस बात का प्रतीक बना कि भारत आतंकवाद के सामने कभी झुकेगा नहीं। देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत हमेशा एकजुट रहेगा। शहीदों का बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्कता और साहस सबसे आवश्यक है।
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