धर्मशाला में चल रहे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकारों के प्रवेश में आई रुकावट को लेकर राजनीतिक चर्चा तेज हो गई है। विपक्ष ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए इसे पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ा मामला कहा है।धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विधानसभा सत्र जनता तक सटीक जानकारी पहुंचाने का मंच होता है, ऐसे में अनुभवी पत्रकारों का प्रवेश सूची से बाहर होना कई सवाल खड़े करता है। उनके अनुसार, पत्रकार लोकतांत्रिक प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनका स्वतंत्र रूप से काम करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा कवरेज लंबे समय से प्रदेश की पत्रकारिता परंपरा का हिस्सा रहा है। इस दौरान पत्रकार न केवल सत्र की कार्यवाही जनता तक पहुंचाते हैं, बल्कि नीतियों और निर्णयों पर निष्पक्ष रिपोर्ट भी उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में प्रेस से जुड़े सदस्यों को सीमित करना या उनके प्रवेश में बाधा आना उचित नहीं कहा जा सकता।
धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने मीडिया प्रोटोकॉल की मांग
इस मामले में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की भूमिका को लेकर भी चर्चा जारी है। विभिन्न पत्रकारीय संगठनों ने कहा है कि मीडिया की एंट्री प्रक्रिया हमेशा पारदर्शी और संस्थागत होनी चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी या विवाद की स्थिति न बने। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक स्पष्ट और स्थायी मीडिया प्रोटोकॉल तैयार होना चाहिए।
वहीं, विधानसभा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया सुरक्षा और व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर होती है। उनका कहना है कि किसी भी बदलाव या सूची में संशोधन प्रशासनिक आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है, न कि किसी व्यक्ति विशेष को लक्षित करके। विपक्ष ने स्पष्ट किया है कि वह इस विषय को सदन और अन्य मंचों पर उठाएगा, ताकि भविष्य में ऐसे विवाद पैदा न हों और मीडिया की भूमिका निर्बाध बनी रहे। कुल मिलाकर, वरिष्ठ पत्रकारों के प्रवेश से जुड़ा यह मामला पारदर्शिता, व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर व्यापक विमर्श को जन्म दे रहा है।





















