धर्मशाला के तपोवन में इस साल का शीतकालीन सत्र कई दृष्टियों से यादगार रहा। उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने बताया कि यह अब तक का सबसे लंबा सत्र था, जिसमें आठ दिनों तक लगातार काम हुआ। खास बात यह रही कि वर्ष 2016 के बाद पहली बार विधानसभा कैलेंडर के सभी 35 निर्धारित बैठकें पूरी की गईं। यह प्रदेश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुचारू संचालन का मजबूत उदाहरण है।
युवाओं में लोकतांत्रिक प्रणाली और विधानसभा की प्रक्रिया के प्रति समझ और रुचि बढ़ी
पठानिया ने बताया कि इस सत्र की एक बड़ी उपलब्धि यह रही कि लगभग 1700 छात्र- छात्राओं ने पूरे प्रदेश से आकर सदन की कार्यवाही को सीधा देखा। इससे युवाओं में लोकतांत्रिक प्रणाली और विधानसभा की प्रक्रिया के प्रति समझ और रुचि बढ़ी है। उनके अनुसार, यह अनुभव बच्चों को भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करेगा। सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खु ने कांगड़ा जिले में करोड़ों रुपये की विकास योजनाओं की शुरुआत और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं से जिले में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन सुविधाओं में सुधार होने की उम्मीद है। साथ ही लोगों की कई समस्याओं का मौके पर समाधान भी किया गया, जिससे सरकार की संवेदनशीलता सामने आती है।
धर्मशाला से ही राज्य सरकार ने नशे के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान
उन्होंने बताया कि धर्मशाला से ही राज्य सरकार ने नशे के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान “चिट्टे के खिलाफ जंग” शुरू किया है। यह समाज को नशामुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केवल सिंह पठानिया ने हिमाचल की लोकतांत्रिक परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 1925 में शिमला में पीठासीन अधिकारियों का पहला सम्मेलन आयोजित हुआ था, जो लोकतांत्रिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने यह भी बताया कि विट्ठलभाई पटेल का हिमाचल से केंद्रीय विधान परिषद के सभापति के रूप में चुना जाना प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
उन्होंने यह भी बताया कि जुलाई में तपोवन विधानसभा परिसर में लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला आयोजित की गई, जो विधानसभा की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है। सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा देश की पहली पूरी तरह पेपरलेस विधानसभा है, जो आधुनिक तकनीक अपनाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।





















