नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राज्यसभा में स्पष्ट किया है कि किसानों को राहत देने के लिए यूरिया और डीएपी जैसे प्रमुख उर्वरकों की कीमतें लंबे समय से स्थिर रखी गई हैं। सरकार ने कहा कि बढ़ती अंतरराष्ट्रीय लागत के बावजूद किसानों पर इसका बोझ नहीं डाला गया है और इसका खर्च केंद्र सरकार स्वयं उठा रही है।
यूरिया और डीएपी की कीमतें वर्षों से स्थिर
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने बताया कि यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य वर्ष 2018 से अब तक नहीं बढ़ाया गया है। वहीं, डीएपी की कीमतें 2023-24 से 2025-26 तक लगातार समान बनी हुई हैं। इन कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार उर्वरकों पर भारी सब्सिडी दे रही है।
लागत बढ़ने के बावजूद किसानों को राहत
सरकार ने बताया कि यूरिया पर होने वाला वास्तविक खर्च प्राकृतिक गैस की कीमत, कच्चे माल की लागत और आयात दरों में बदलाव के कारण घटता-बढ़ता रहता है। इसके बावजूद किसानों को सस्ती दर पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए सरकार सब्सिडी का भार उठाती है। पीएंडके उर्वरकों के लिए हर वर्ष या छह माह में तय दर पर सब्सिडी निर्धारित की जाती है।
बुवाई से पहले मांग का आकलन
उर्वरकों की कमी न हो, इसके लिए हर बुवाई सत्र से पहले केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर राज्यवार और महीनेवार मांग का अनुमान लगाती है। इसी के आधार पर राज्यों को आवश्यक मात्रा में उर्वरक की आपूर्ति की जाती है।
डिजिटल निगरानी से सप्लाई पर नजर, वैकल्पिक और टिकाऊ उर्वरकों को बढ़ावा
देशभर में सब्सिडी वाले उर्वरकों की आवाजाही और वितरण पर नजर रखने के लिए एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (IFMS) का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, उर्वरकों की उपलब्धता की समीक्षा के लिए राज्यों के साथ साप्ताहिक बैठकें भी की जाती हैं।सरकार रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक और टिकाऊ विकल्पों को भी प्रोत्साहित कर रही है। इसके तहत ऑर्गेनिक फर्टिलाइज़र, बायो-फर्टिलाइज़र, नैनो फर्टिलाइज़र और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने वाले उत्पादों को अधिसूचित किया गया है।
जैविक खेती के लिए विशेष योजनाएं
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख योजनाएं लागू हैं
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): इसके तहत तीन साल में ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है, जिसमें से ₹15,000 सीधे किसानों को जैविक इनपुट के लिए मिलते हैं। उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए ऑर्गेनिक वैल्यू चेन योजना: इसमें तीन वर्षों में ₹46,500 प्रति हेक्टेयर तक की सहायता प्रदान की जाती है।
सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के माध्यम से उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा दे रही है। वर्ष 2014-15 से अब तक देशभर में 25 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इस योजना पर अब तक लगभग 1970 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए भी जानकारी दी जा रही है।
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