चंडीगढ़, 13 दिसंबर: भारत के उपराष्ट्रपति एवं पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के कुलाधिपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा है कि 143 वर्षों की समृद्ध विरासत के साथ पंजाब विश्वविद्यालय आज भी देश में उच्च शिक्षा के मानकों को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। वे विश्वविद्यालय के 73वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे।
पंजाब विश्वविद्यालय ने न केवल भारत को प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, सांसद, वैज्ञानिक और खिलाड़ी दिए
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 73वां दीक्षांत समारोह इस प्रतिष्ठित संस्थान की शैक्षणिक उत्कृष्टता और ऐतिहासिक योगदान का सशक्त प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय ने न केवल भारत को प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, सांसद, वैज्ञानिक और खिलाड़ी दिए हैं, बल्कि एक पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री जैसे वैश्विक नेतृत्वकर्ता भी इसी विश्वविद्यालय की देन रहे हैं। ऐसे असंख्य विशिष्ट व्यक्तित्व आज भी गर्व के साथ इस संस्थान को अपनी मातृ संस्था मानते हैं।
विश्वविद्यालय की दूरदर्शी सोच का उल्लेख करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय की दृष्टि वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक और भविष्य उन्मुख है। उन्होंने बताया कि संस्थागत विकास योजना 2025 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कार्य करते हुए विश्वविद्यालय ने पिछले पांच वर्षों में 11,000 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
दीक्षांत समारोह के अवसर पर उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों, शिक्षकों और मित्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह उपलब्धि सभी के लिए गर्व का क्षण है। साथ ही, उपाधि (ऑनोरिस कॉज़ा) से सम्मानित विशिष्ट व्यक्तियों को भी उन्होंने बधाई दी।
स्नातक छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे ऐसे समय में शिक्षा पूर्ण कर रहे हैं जब दुनिया तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं रहा, बल्कि नवाचार और तकनीकी सृजन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने युवाओं से नवाचार और सतत विकास को अपनाने का आह्वान किया।
आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा से प्रेरित नवाचार ही वास्तविक आत्मनिर्भरता की पहचान है। उन्होंने विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने, सोशल मीडिया का विवेकपूर्ण उपयोग करने और यह याद रखने की सलाह दी कि डिग्री प्राप्त करना जीवन की मंज़िल नहीं, बल्कि नई जिम्मेदारियों की शुरुआत है। अंत में उन्होंने वर्ष 2025 के सभी स्नातकों के उज्ज्वल, उद्देश्यपूर्ण और सफल भविष्य की कामना की।
NEWS से जुड़े लेटेस्ट अपडेट्स के लिए SidhiVinayaktimes पर विजिट करते रहें और हमें यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ट्विटर (X) पर भी फॉलो करें।





















