सिधिविनायक टाइम्स शिमला। केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश (सीयूएचपी) में अकादमिक समुदाय के मानसिक स्वास्थ्य और कार्य–जीवन संतुलन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एनएसयूआई–सीयूएचपी ने ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ दिशा-निर्देश लागू करने की मांग उठाई है। इस संबंध में संगठन ने कुलसचिव नरेंद्र संख्यान के माध्यम से माननीय कुलपति को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि शोधार्थियों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों पर कार्य-समय के बाहर निरंतर कॉल और संदेशों का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिससे तनाव और बर्नआउट जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
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एनएसयूआई ने प्रस्ताव रखा कि सामान्य परिस्थितियों में सुबह 9 बजे से पहले और शाम 5:30 बजे के बाद किसी भी प्रकार का शैक्षणिक या प्रशासनिक संचार न किया जाए तथा उत्तर देने के लिए न्यूनतम समय-सीमा तय हो। संगठन का मानना है कि स्पष्ट प्रोटोकॉल से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि एक स्वस्थ और संवेदनशील अकादमिक वातावरण भी विकसित होगा। इस पर कुलसचिव ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए शीघ्र पारदर्शी व्यवस्था लागू करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर एनएसयूआई के पदाधिकारी, सदस्य और शोधार्थी उपस्थित रहे।





















