17 दिसंबर 2025 को भारतीय संसद ने सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया। यह विधेयक भारत के बीमा क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अंतर्गत बीमा अधिनियम, 1938, भारतीय जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 और भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) अधिनियम, 1999 में संशोधन किए गए हैं।
बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति, प्रतिस्पर्धा और सेवाओं में सुधार
विधेयक की सबसे अहम विशेषताओं में बीमा कंपनियों में **100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)** की अनुमति शामिल है। इससे विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बीमा बाजार में प्रवेश आसान होगा। यह कदम पूंजी निवेश बढ़ाने, आधुनिक तकनीक अपनाने, वैश्विक सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को लाने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने में सहायक होगा। एफडीआई बढ़ने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे बीमा उत्पाद अधिक किफायती, पारदर्शी और ग्राहक-केंद्रित बनेंगे। बेहतर सेवाएं और नवाचार आम नागरिकों के लिए बीमा को अधिक सुलभ बनाएंगे।
व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने वाले प्रावधान
व्यापार सुगमता के उद्देश्य से बीमा इंटरमीडियरीज के लिए वन-टाइम लाइसेंसिंग की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, लाइसेंस को सीधे रद्द करने के बजाय निलंबन का प्रावधान किया गया है। बीमाकर्ताओं के लिए शेयर पूंजी हस्तांतरण पर पूर्व नियामक अनुमोदन की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
पुनर्बीमा और विदेशी भागीदारी को प्रोत्साहन
विदेशी पुनर्बीमा शाखाओं के लिए नेट ओन्ड फंड की आवश्यकता को 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे भारत को वैश्विक पुनर्बीमा केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।
एलआईसी को अधिक स्वायत्तता
इस विधेयक के माध्यम से भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को देश में क्षेत्रीय कार्यालय खोलने और अपने विदेशी कार्यालयों को संबंधित देशों के कानूनों के अनुरूप संचालित करने की स्वायत्तता दी गई है।
पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा
पॉलिसीधारकों की सुरक्षा और जागरूकता के लिए पॉलिसीधारक शिक्षा एवं संरक्षण कोष की स्थापना का प्रावधान किया गया है। साथ ही, पॉलिसीधारकों का डेटा अब डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम, 2023 के अनुरूप सुरक्षित किया जाएगा।
नियामक गवर्नेंस को सुदृढ़ करना
नियम निर्माण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया और अनिवार्य परामर्श व्यवस्था शुरू की गई है। आईआरडीएआई को बीमाकर्ताओं और मध्यस्थों द्वारा किए गए अनुचित लाभ की वसूली की शक्ति दी गई है। दंड प्रावधानों को भी अधिक तर्कसंगत और पारदर्शी बनाया गया है।
समावेशी और सशक्त बीमा क्षेत्र की ओर
कुल मिलाकर, सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य आम नागरिकों, परिवारों और उद्यमों तक बीमा कवरेज का विस्तार करना, व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना और नियामक व्यवस्था को मजबूत करना है। यह विधेयक भारतीय बीमा क्षेत्र को नई मजबूती प्रदान करेगा और देश की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता की ओर अग्रसर करेगा।
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