नई दिल्ली: संसद के ऊपरी सदन में सोमवार को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर एक खास चर्चा हुई। इस चर्चा की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ गाया जाने वाला गीत नहीं है, बल्कि यह ऐसा संदेश है जो देशभक्ति, कर्तव्य और भारतीय संस्कृति की भावना को जागृत करता है। उनके अनुसार, जिस तरह यह गीत आजादी के समय लोगों को प्रेरित करता था, उसी तरह आज भी देश को आगे बढ़ाने में प्रेरणा देता है।
वंदे मातरमगीत को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में लिखा था
अमित शाह ने बताया कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने यह गीत 1875 में लिखा था। उस समय अंग्रेजी शासन में भारतीयों की आवाज को दबाया जाता था। ऐसे माहौल में वंदे मातरम ने लोगों के मन में आत्मविश्वास और एकता की भावना जगाई। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने कई बार इस गीत के गाने पर रोक लगाने की कोशिश की। कई लोगों को तो इसे गाने के लिए सज़ा भी दी गई। लेकिन इसके बावजूद यह गीत पूरे देश में आजादी की लड़ाई का प्रमुख नारा बन गया।
गृह मंत्री ने अपने भाषण में रवीन्द्रनाथ टैगोर, महर्षि अरविंद, सरला देवी, और ओंकारनाथ ठाकुर जैसे कई नामी लोगों का जिक्र भी किया, जिन्होंने वंदे मातरम को विशेष महत्व दिया। शाह ने कहा कि कई स्वतंत्रता सेनानी लड़ाई के कठिन समय में वंदे मातरम बोलकर खुद को मजबूत महसूस करते थे।
सरकार 2025- 26 को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के रूप में मना रही
अपने भाषण में शाह ने विपक्ष पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को लेकर कुछ दल हमेशा झिझक दिखाते आए हैं। उनके अनुसार, 1925 में जब इस गीत के दो अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग तरीके से अपनाया गया, तो यह कदम राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित था, जो बाद में देश को नुकसानदायक साबित हुआ। उन्होंने कहा कि एक समय संसद में वंदे मातरम गाना बंद कर दिया गया था, जिसे फिर 1992 में दोबारा शुरू किया गया।
अमित शाह ने बताया कि सरकार 2025- 26 को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के रूप में मना रही है। इस दौरान पूरे साल देशभर में कई तरह के कार्यक्रम होंगे। प्रदर्शनी लगाई जाएगी, डॉक्यूमेंट्री बनाई जाएगी, डाक टिकट और स्मारक सिक्के जारी किए जाएंगे। 75 कलाकारों का एक बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। देश के हर जिले और तहसील में भी विशेष आयोजन होंगे। आकाशवाणी, दूरदर्शन और अन्य रेडियो चैनलों पर भी वंदे मातरम से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे। विदेशों में भारतीय दूतावासों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
वंदे मातरम भारत माता को शक्ति, ज्ञान और समृद्धि देने वाली परंपरा को दर्शाता है
शाह ने कहा कि वंदे मातरम भारत माता को शक्ति, ज्ञान और समृद्धि देने वाली रूप में देखने की भारतीय परंपरा को दर्शाता है। इस गीत में देवी दुर्गा की शक्ति, लक्ष्मी की समृद्धि और सरस्वती की विद्या- तीनों का उल्लेख भारत माता की महिमा के रूप में होता है। अंत में गृह मंत्री ने कहा कि जब भारत 2047 के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है, तब वंदे मातरम देश के युवाओं और नागरिकों को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने संसद से अपील की कि हर जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों और युवाओं में वंदे मातरम के प्रति सम्मान और भावनाओं को मजबूत करे।
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