केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा एवं खेल मामलों के मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर हिमाचल प्रवास पर हैं। इस दौरान चिंतपूर्णी विधानसभा के चुरुड़ और ज्वाल में क्रमशः टकारला और चिंतपूर्णी सेक्टर प्रभारियों संग बैठक की। इसके पश्चात अनुराग ठाकुर ने ऊना जिले के अम्ब स्थित बीडीसी चैंबर में बीडीसी सदस्यों संग बैठक की। कार्यक्रमों के दौरान मीडिया कर्मियों से वार्तालाप करते हुए हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा, “सौ बार झूठ बोलने से भी झूठ झूठ ही रहेगा।
हिमाचल प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार आई है इनका रोना बंद नहीं हुआ है। आपदा से निपटने के लिए मोदी सरकार ने 1762 करोड़ रुपये की मदद नेशनल डिज़ास्टर रिस्पांस फंड के अन्तर्गत की । हिमाचल प्रदेश को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 2700 करोड़ रुपए दिए हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में मकान के लिए ₹1 लाख 50 हजार तो वहीं शहरी क्षेत्र में ₹1 लाख 85 हजार रुपए दिए गए हैं। मनरेगा के अंतर्गत गांव में रास्तों और सड़कों के निर्माण के लिए हजारों करोड़ रुपए मिले हैं।
अनुराग ठाकुर ने आगे कहा, “केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के देहरा धर्मशाला में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए मंजूरी दी थी। लेकिन जब-जब कांग्रेस की सरकार आई तब तब उन्होंने जमीन देने में वर्षों लगा दिए।
अनुराग ठाकुर ने कहा “हिमाचल में आपदा की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा NDRF की 13 टीमों को बचाव नौकाओं और अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ तैनात किया गया। नागरिकों की निकासी के लिए पोंटा साहिब में सेना के 1 पैरा एसएफ और 205 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन की 01 कॉलम भी तैनात की गई थी। इसके साथ हीं बचाव कार्यों के लिए भारतीय वायु सेना के 02 एमआई-17 वी हेलीकॉप्टर भी तैनात किए गए थे जिससे समय रहते हजारों जानें बचाई जा सकीं।
नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के माध्यम से भी मदद दी गई। मैं स्वयं कई दिनों तक हिमाचल में रहा और पूरे क्षेत्र का सघन दौरा कर राहत व बचाव कार्यों को आखिरी पीड़ित तक सुनिश्चित कराया। पटवारियों से टाइम बाउंड रिपोर्ट मंगवा कर डीसी को तुरंत पैसे रिलीज करने का निर्देश दिया।
अनुराग ठाकुर ने आगे कहा, “कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ ही न्याय करने में असमर्थ है। इनके मोहब्बत की दुकान में सिर्फ नफरत नजर आती है। आज एक-एक करके इनके साथी इनको छोड़ रहे हैं। कांग्रेस के बड़े नेता जैसे कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, मिलिंद देवड़ा और कई बड़े नेता जो केंद्र और राज्य में मंत्री रहें, उन्होंने आज कांग्रेस से किनारा किया है। आज कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी लगता है कि अगर कांग्रेस के साथ रहे तो उनका खुद का वोट बैंक खिसक जाएगा। चाहे वह ममता बनर्जी हों या डीएमके या फिर महाराष्ट्र, सभी लोग इनसे किनारा कर रहे हैं। बंगाल में तो ममता बनर्जी ने राहुल गांधी से मिलने से ही मना कर दिया




















