शिमला, 22 दिसंबर 2025: हिमाचल प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और देश के अग्रणी ग्रीन एनर्जी राज्यों की श्रेणी में शामिल करने के लिए राज्य सरकार लगातार ठोस कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि मार्च 2026 तक प्रदेश की 90 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा जरूरतें नवीकरणीय स्रोतों से पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है। वर्तमान में राज्य की वार्षिक ऊर्जा खपत लगभग 13 हजार मिलियन यूनिट है।
सौर ऊर्जा पर विशेष फोकस, 500 मेगावाट क्षमता बढ़ाने की योजना
मुख्यमंत्री ने बताया कि हरित नीतियों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से विस्तार हो रहा है। अगले दो वर्षों में 500 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी दिशा में ‘ग्रीन पंचायत कार्यक्रम’ शुरू किया गया है, जिसके तहत प्रदेश की पंचायतों में 500 किलोवाट क्षमता की ग्राउंड-माउंटेड सोलर परियोजनाएं लगाई जाएंगी।
पहले चरण में 24 ग्राम पंचायतों को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 16 पंचायतों में कार्य शुरू हो चुका है। इस योजना से कुल 150 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इन सौर परियोजनाओं से होने वाली आय का 20 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के अनाथ बच्चों और विधवाओं के कल्याण पर खर्च किया जाएगा। इससे ऊर्जा विकास के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की जा रही है।
ऊना जिले की सौर परियोजनाओं से हुआ बड़ा राजस्व अर्जन
मुख्यमंत्री ने ऊना जिले की प्रमुख सौर परियोजनाओं की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि:
- पेखूबेला सौर परियोजना ने 15 अप्रैल 2024 से संचालन शुरू कर अब तक 79.03 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया है, जिससे 22.91 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
- अघलौर सौर परियोजना से 21 मई 2025 के बाद 5.89 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है।
- भंजाल सौर परियोजना ने 30 नवंबर 2024 से उत्पादन शुरू कर 8.57 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की और 3.10 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया।
नई परियोजनाएं पाइपलाइन में, कांगड़ा में 200 मेगावाट प्लांट प्रस्तावित
वर्तमान में 31 मेगावाट क्षमता की तीन सौर परियोजनाएं निष्पादन चरण में हैं, जबकि 41 मेगावाट क्षमता की चार परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी की जा चुकी हैं। इसके अलावा कांगड़ा जिले के डमटाल क्षेत्र में बंजर भूमि पर 200 मेगावाट क्षमता का बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जाएगा।
दूरदराज़ क्षेत्रों तक पहुंची स्वच्छ ऊर्जा
मुख्यमंत्री ने बताया कि लाहौल-स्पीति के लांगजा, हिक्किम, मुद और कोमिक जैसे दुर्गम गांवों के 148 घरों में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत सोलर ऑफ-ग्रिड सिस्टम लगाए गए हैं, जिससे इन क्षेत्रों में स्वच्छ और भरोसेमंद बिजली उपलब्ध हो रही है।
निवेशकों को बढ़ावा, सैकड़ों मेगावाट क्षमता आवंटित, ग्रीन हाइड्रोजन और बायोगैस पर भी सरकार का जोर
‘पहले आओ, पहले पाओ’ नीति के तहत 250 किलोवाट से 5 मेगावाट तक की सौर परियोजनाएं आवंटित की जा रही हैं। अब तक 547 निवेशकों को लगभग 596 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं दी जा चुकी हैं, जिनमें से 403 मेगावाट के लिए बिजली खरीद समझौते हो चुके हैं। इसके अलावा हिमऊर्जा के माध्यम से राज्य विद्युत बोर्ड को 728.4 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं आवंटित की गई हैं, जिनमें से 150 मेगावाट से अधिक क्षमता की 120 परियोजनाओं को पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सौर ऊर्जा के साथ-साथ ग्रीन हाइड्रोजन, कंप्रेस्ड बायोगैस, भू-तापीय ऊर्जा और अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर भी गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि इन निरंतर प्रयासों से हिमाचल प्रदेश वर्ष 2026 तक ग्रीन एनर्जी स्टेट के रूप में देश में अपनी मजबूत पहचान बनाएगा।
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