धर्मशाला | 19 दिसंबर 2025 गैर-तिब्बती सरकारी संगठनों ने खाम क्षेत्र के कशी गांव में चीनी सरकार द्वारा शुरू किए गए गोल्ड माइनिंग प्रोजेक्ट की कड़ी निंदा करते हुए तिब्बती प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता व्यक्त की है। संगठनों का कहना है कि यह खनन परियोजना स्थानीय तिब्बती समुदाय की सहमति के बिना शुरू की गई, जो न केवल पर्यावरण के लिए घातक है बल्कि तिब्बती लोगों के बुनियादी मानव अधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन है।
प्रेस वक्तव्य में कहा गया कि 5 नवंबर 2025 को चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने खाम के जाचुखा/कशी क्षेत्र में सोने के खनन का कार्य आरंभ किया। जब स्थानीय तिब्बतियों ने इस परियोजना को शांतिपूर्ण तरीके से रोकने और अधिकारियों से संवाद करने का प्रयास किया, तो उन्हें धमकाया गया और उनकी अपील को सिरे से खारिज कर दिया गया। स्थानीय अधिकारियों ने कथित तौर पर यह कहकर विरोध को दबाया कि “इस जमीन पर हस्तक्षेप करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है, इसकी संप्रभुता पूरी तरह चीनी सरकार की है।”
वक्तव्य में आरोप लगाया गया कि खनन कार्य के विरोध को कुचलने के लिए तिब्बतियों पर झूठे आरोप गढ़े गए, उन्हें डराया-धमकाया गया और उनकी आवाज़ को दबाने की साजिश रची गई। नवंबर माह के दौरान कम से कम 80 स्थानीय तिब्बतियों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, जबकि 7 लोगों को जबरन गायब कर दिया गया। संगठनों के अनुसार यह स्थिति अत्यंत गंभीर और चिंताजनक है।
मानव अधिकार संगठनों का कहना है कि इन घटनाओं के माध्यम से आत्मनिर्णय का अधिकार, पर्यावरण संरक्षण का अधिकार तथा शांतिपूर्ण विरोध और अपील करने जैसे बुनियादी अधिकारों का खुला दमन किया जा रहा है। गिरफ्तार तिब्बतियों के साथ मनमानी हिरासत और यातना के आरोप भी लगाए गए हैं, जो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं द्वारा निर्धारित मानकों की स्पष्ट अवहेलना है।
प्रेस वक्तव्य में यह भी रेखांकित किया गया कि 1980 के दशक से चीनी सरकार आमदो, उचांग और खाम क्षेत्रों में सोना, चांदी, तांबा और जिंक जैसे कीमती खनिजों का दोहन कर रही है। कड़ी सरकारी गोपनीयता और निगरानी के चलते पर्यावरण को होने वाला व्यापक नुकसान लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय से छिपा रहा। हाल ही में कशी इलाके में गोल्ड माइनिंग का मामला सामने आने के बाद वैश्विक ध्यान दोबारा तिब्बत की ओर गया है, जबकि तिब्बत में कई अन्य खनन परियोजनाएं आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर से ओझल हैं।
संगठनों ने चेतावनी दी कि तिब्बती पठार का नाजुक प्राकृतिक पर्यावरण व्यवस्थित रूप से नष्ट किया जा रहा है, जिससे न केवल तिब्बती समुदाय बल्कि पूरे क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन खतरे में पड़ गया है।
इस गंभीर स्थिति के मद्देनज़र, पाँच प्रमुख तिब्बती गैर-सरकारी संगठनों ने चीनी सरकार की शोषणकारी और दमनकारी नीतियों की कड़ी निंदा करते हुए निम्नलिखित मुख्य मांगें रखीं:
तिब्बती पठार में पर्यावरण विनाश को तुरंत रोका जाए और उसकी प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
गलत तरीके से गिरफ्तार किए गए सभी तिब्बतियों को बिना शर्त रिहा किया जाए।
जबरन गायब किए गए लोगों का तुरंत पता लगाकर उन्हें सुरक्षित उनके परिवारों को सौंपा जाए।
तिब्बती लोगों की जानकारी और सहमति के बिना तिब्बती भूमि पर माइनिंग और बड़े निर्माण कार्यों को तत्काल रोका जाए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय तिब्बत के नाजुक इकोसिस्टम और तिब्बती लोगों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय हस्तक्षेप करे।
वक्तव्य के अंत में कहा गया कि कशी गांव की स्थिति अत्यंत गंभीर है और इस पर तत्काल अंतरराष्ट्रीय ध्यान व ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है। यदि अब भी चुप्पी और निष्क्रियता बनी रही, तो इससे न केवल पर्यावरणीय तबाही और बढ़ेगी बल्कि तिब्बत में मानव अधिकारों का उल्लंघन और गहराएगा।
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