नई दिल्ली: राज्य सभा सांसद इंदु बाला गोस्वामी हिमाचल प्रदेश में चल रही कई रेलवे परियोजनाओं में देरी को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं। केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि परियोजनाओं के समय पर पूरे न हो पाने का मुख्य कारण भूमि हस्तांतरण में देरी और राज्य सरकार की ओर से तय हिस्सेदारी की राशि का भुगतान न होना है। रेल मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार हिमाचल में रेलवे विकास को लेकर पूरी तरह गंभीर है, लेकिन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार का सहयोग जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भूमि और वित्तीय योगदान के बिना काम को गति देना संभव नहीं है।
भानुपल्ली–बिलासपुर–बेरी रेल लाइन पर अटका काम
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 63 किलोमीटर लंबी भानुपल्ली–बिलासपुर–बेरी रेलवे लाइन के लिए कुल 124 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक केवल 82 हेक्टेयर भूमि ही उपलब्ध कराई है। जिस भूमि पर रेलवे को कब्जा मिला है, वहां निर्माण कार्य जारी है, लेकिन बिलासपुर से बेरी के बीच भूमि न मिलने से परियोजना प्रभावित हो रही है।
राज्यांश न मिलने से बढ़ी परेशानी
रेल मंत्री ने बताया कि इस परियोजना की लागत में 75 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार और 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार को देना है। कुल लागत 6,753 करोड़ रुपये तय की गई है। अब तक 5,252 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जबकि राज्य सरकार को 2,711 करोड़ रुपये देने थे। इसके मुकाबले राज्य सरकार ने अब तक केवल 847 करोड़ रुपये ही जमा किए हैं और 1,863 करोड़ रुपये अभी भी बकाया हैं, जिससे काम धीमा पड़ रहा है।
हिमाचल के लिए रेल बजट में भारी बढ़ोतरी
उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में अब हिमाचल को रेलवे विकास के लिए कहीं ज्यादा बजट दिया जा रहा है। जहां 2009 से 2014 के बीच राज्य को केवल 108 करोड़ रुपये मिले थे, वहीं वर्ष 2025-26 के लिए 2,716 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह हिमाचल में रेलवे नेटवर्क को मजबूत करने की केंद्र सरकार की मंशा को दर्शाता है।
नई रेल परियोजनाओं पर भी शुरू हुआ काम
रेल मंत्री ने बताया कि राज्य में 52 किलोमीटर लंबी दौलतपुर चौक- करतोली- तलवाड़ा रेल लाइन पर काम शुरू हो चुका है। इसके अलावा 1,540 करोड़ रुपये की लागत से चंडीगढ़- बद्दी रेलवे लाइन का निर्माण भी प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि बिलासपुर–लेह रेलवे लाइन को रक्षा मंत्रालय ने सामरिक महत्व की परियोजना घोषित किया है। इस परियोजना का सर्वे और डीपीआर पूरी हो चुकी है। करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह 489 किलोमीटर लंबी लाइन होगी, जिसमें बड़ी दूरी सुरंगों से होकर गुजरेगी। अंत में रेल मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार हिमाचल में रेलवे परियोजनाओं को समय पर पूरा करना चाहती है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार को भूमि हस्तांतरण और अपनी वित्तीय जिम्मेदारी समय पर निभानी होगी। उन्होंने राज्य सरकार से जल्द सहयोग की अपील की।
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