मुख्य सचिव संजीव कौशल ने एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष डॉ. एम. एम. कुट्टी की अध्यक्षता में एक वर्चुअल समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि राज्य सरकार वायु गुणवत्ता सूचकांक को लेकर अत्यधिक सतर्क है और धान की पराली जलाने के मामलों को ओर कम करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहें हैं। डॉ. कुट्टी ने पिछले वर्ष की तुलना में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत से अधिक की कमी हासिल करने के लिए करनाल और कैथल के उपायुक्तों की सराहना की। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली जलाने को नियंत्रित करने में हरियाणा ने बेहतर कार्य किया है, लेकिन वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार के लिए आगामी त्योहारी सीजन के दौरान कड़ी निगरानी और कड़े उपायों करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए ‘हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ – 2023′ योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना का उद्देश्य बायोमास आधारित परियोजनाओं के लिए धान के भूसे की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। बैठक के दौरान श्री कौशल ने बताया कि सरकार खेतों में लगने वाली आग को रोकने के लिए सख्त निगरानी और बदलाव के उपाय कर रही है। हरसेक द्वारा जलने की घटनाओं की सही समय पर रिपोर्टिंग और जिला, ब्लॉक-स्तरीय प्रवर्तन टीमों और उड़न दस्तों की तैनाती की गई है। फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए ग्राम एवं ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गये हैं। इसके अलावा, सरकार खेतों में आग लगाने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। अब तक 939 चालान किए गए हैं और 25.12 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। खेतों की आग के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा करने के साथ ही दोषी अधिकारियों को निलंबित करने का भी कार्य किया गया है। मुख्य सचिव ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए पराली की गाठों के लिए परिवहन शुल्क दिया जा रहा है।
राज्य सरकार पराली जलाने को कम करने और पर्यावरण के प्रति कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न उद्योगों के पास बायोमास का उत्पादन करने वाले गांवों के समूहों की पहचान करके धान के भूसे के औद्योगिक उपयोग पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि चालू वर्ष के लिए 13.54 मिलियन टन धान के भूसे का औद्योगिक उपयोग होने का अनुमान है।हरियाणा प्रदूषण नियऩ़्त्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री राघवेंद्र राव ने उपायुक्तों को खनन और उत्खनन गतिविधियों की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कोई भी कचरा खुले में न जलाया जाए। उन्होंने सरकार द्वारा लागू उपायों को सख्ती से लागू करने पर बल दिया।